वर्ष 2022 में आप लाल किताब के अनुसार जान लीजिये की कौनसे ग्रह का कौनसा रंग होता है और उसी के अनुसार आप अपने जीवन में उन रंगों को शामिल करके अपनी किस्मत बदल सकते हैं। आओ जानते हैं 9 ग्रहों का रंग, उसका महत्व और कहां करें उसका उपयोग।
ग्रहों के रंग :
1.सूर्य- रंग लाल और तम्बाई। तम्बाई अर्थात तांबे जैसा। रंग की शक्ति आग का भंडार है। मतलब यह कि वह बहुत ही ऊर्जावान और एनर्जेटिक है। गुण आग, गुस्सा, उग्रता, विवेक, विद्या और राजसी बहादुरी।
2.चंद्र- रंग सफेद और पनियारा अर्थात पानी जैसा। रंग की शक्ति मानसिक शक्ति, सुख और शांति का मालिक। गुण शीतल, शांत, माता का प्यारा, पूर्वजों का सेवक, दयालु एवं हमदर्द।
3.मंगल- रंग लाल और रक्त वर्ण। शक्ति मात या मौत देना। गुण साहस, आत्मविश्वास, क्रूरता, युद्ध और सोच-समझकर बात करने वाला।
4. बुध- रंग सब्ज हरा और श्याम। शक्ति सुघने और बोलने की शक्ति के साथ ही दिमागी ताकत। गुण मित्रता, वाकपटुता, मिलनसारिता और चापलुसी।
5. गुरु- रंग पीला और सुनहरा, स्वर्ण। हकीमी, हवा, रूह और सांस लेने तथा दिलाने की शक्ति। गुण मौन एवं शांत और रहस्यमय ज्ञानी।
6.शुक्र- रंग सफेद और इससे मिलता जुलता। शक्ति प्यार, लगन, शांति और ऐश पसंद। गुण घर गृहस्थी और आशिक मिजाज।
7.शनि- रंग काला और श्याम। शक्ति जादूमंत्र देखने-दिखाने की शक्ति। गुण रहस्य में रुचि, देखना, भालना, चालाकी, मूर्ख, अक्खड़ और कारिगर।
8.राहु- रंग नीला। शक्ति कल्पना शक्ति का स्वामी, पूर्वाभास तथा अदृश्य को देखने या महसूस करने की शक्ति। गुण सोचने की ताकत, डर, शत्रुता, चालबाज, मक्कार, नीच और जालिम।
9.केतु- रंग काला-सफेद दोरंगा अर्थात दोनों रंग एक साथ और कपोत एवं धूम्र वर्ण। शक्ति सुनना, चलना, सतर्कता और मिलना। गुण धर्मज्ञानी, मजदूरी और अफसरी।
निष्कर्ष : उपरोक्त ग्रहों में सूर्य, गुरु, चंद्र, शुक्र, बुद्ध ग्रह को सबसे शुभ माना जाता है। मंगल ग्रह को क्रूर ग्रह माना जाता है। शनि, राहु और केतु ग्रह को अशुभ माना जाता है। अत: अपने जीवन में गुरु का पीला, चंद्र और शुक्र का सफेद, बुध का हरा और सूर्य के तंबाई रंग का उपयोग करना चाहिए।
घरों में रंग :
1.उत्तर की दीवार :- घर का उत्तर का भाग जल तत्व प्रधान होता है। वास्तु के अनुसार इसकी साज-सजा में हल्के हरे रंग या पिस्ता हरे रंग का प्रयोग किया जाना चाहिए। हालांकि आप आसमानी रंग का प्रयोग भी कर सकते हैं।
2. उत्तर-पूर्व की दीवार :- उत्तर-पूर्व को ईशान कोण कहते हैं। इस दिशा की दीवार का रंग आसमानी, सफेद या हल्के बैंगनी रंग का होना चाहिए। हालांकि इसमें पीले रंग का प्रयोग इसलिए करना चाहिए, क्योंकि यह देवी और देवताओं का स्थान होता है।
3. पूर्व की दीवार :- पूर्व की दीवार पर सफेद या हल्का नीला रंग कर सकते हैं।
4. दक्षिण-पूर्व की दीवार:- घर का दक्षिण-पूर्व का भाग अग्नि तत्व का माना जाता है। इस स्थान की साज-सज्जा में नारंगी, पीले या सफेद रंग का प्रयोग उचित होता है। इसे आग्नेय कोण कहते हैं। यह किचन का स्थान है।
5. दक्षिण की दीवार :- दक्षिण भाग में नारंगी रंग का प्रयोग करना चाहिए। इससे स्फूर्ति और उत्साह बना रहेगा। यदि यहां शयन कक्ष है तो गुलाबी रंग का प्रयोग कर सकते हैं।
6. दक्षिण-पश्चिम की दीवार :- दक्षिण-पश्चिम की दीवार या कक्ष को नैऋत्य कोण कहा जाता है। इसमें भूरे, ऑफ व्हाइट या भूरा या हरा रंग प्रयोग करना चाहिए।
7. पश्चिम :- पश्चिम की दीवार या कक्ष के लिए नीले रंग की सलाह दी जाती है। आप नीले रंग के साथ बहुत कम मात्रा में सफेद रंग का उपयोग भी कर सकते हैं। यह वरुणदेव का स्थान भी माना जाता है, जो जल के देवता हैं।
8. पश्चिम-उत्तर की दीवार :- इसे वायव्य कोण कहते हैं। वायव्य दिशा में बने ड्राइंग रूम में हलका स्लेटी, सफेद या क्रीम रंग का प्रयोग भी किया जा सकता है।
पुनश्च:- उत्तर- हरा, ईशान- पीला, पूर्व- सफेद, आग्नेय- नारंगी या सिल्वर, दक्षिण- नारंगी, गुलाबी या लाल, नैऋत्य- भूरा या हरा, पश्चिम- नीला, वायव्य- स्लेटी या सफेद।