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भड्डरी की ज्योतिष संबंधी दिलचस्प कहावतें

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अखै तीज रोहिनी न होई। पौष, अमावस मूल न जोई।।
राखी स्रवणो हीन विचारो। कातिक पूनों कृतिका टारो।।
महि-माहीं खल बलहिं प्रकासै। कहत भड्डरी सालि बिनासै।।


 
अर्थात भड्डरी कहते हैं कि वैशाख अक्षय तृतीया को यदि रोहिणी नक्षत्र न पड़े, पौष की अमावस्या को यदि मूल नक्षत्र न पड़े, सावन की पूर्णमासी को यदि श्रवण नक्षत्र न पड़े, कार्तिक की पूर्णमासी को यदि कृत्तिका नक्षत्र न पड़े तो समझ लेना चाहिए कि धरती पर दुष्टों का बल बढ़ेगा और धान की उपज नष्ट होगी।
 
अद्रा भद्रा कृत्तिका, असरेखा जो मघाहिं।
चन्दा उगै दूज को, सुख से नरा अघाहिं।।
 
अर्थात द्वितीया को चन्द्रमा यदि आर्द्रा, भद्रा (भाद्रपद), कृत्तिका, आश्लेषा या मघा में उदित हो तो मनुष्य को सुख ही सुख प्राप्त होगा।
 
जो चित्रा में खेलै गाई। निहचै खाली न जाई।।
 
अर्थात यदि कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा-गोवर्धन पूजा, अन्नकूट, गोक्रीड़ा के दिन चित्रा नक्षत्र में चन्द्रमा हो तो फसल अच्छी होती है।
 
पांच सनीचर पांच रवि, पांच मंगर जो होय।
छत्र टूट धरनी परै, अन्न महंगो होय।।
 
अर्थात भड्डरी कहते हैं कि यदि एक महीने में 5 शनिवार, 5 रविवार और 5 मंगलवार पड़ें तो महा अशुभ होता है। यदि ऐसा होता है तो या तो राजा का नाश होगा या अन्न महंगा होगा। 
 
सोम सुकर सुरगुरु दिवस, पूस अमावस होय।
घर-घर बजी बधाबड़ा, दु:खी न दीखै कोय।।
 
अर्थात पूस की अमावस्या को यदि सोमवार, बृहस्पतिवार या शुक्रवार पड़े तो शुभ होता है और हर जगह बधाई बजेगी तथा कोई भी आदमी दु:खी नहीं रहेगा।

 
 

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