Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

इंटियूशन पॉवर का वैज्ञानिक आधार

प्रेजेंट में फ्यूचर का आभास : टेलीपैथी

Advertiesment
हमें फॉलो करें इंटियूशन पॉवर का वैज्ञानिक आधार
ND
आमतौर पर हमें प्रेजेंट की, अपने आसपास की घटनाओं की जानकारी होती है। फ्यूचर अथवा पूर्वजन्मों की घटनाओं का हमें ज्ञान नहीं होता है। परंतु, कभी-कभी हमारे के जीवन में कोई ना कोई ऐसी घटना घट जाती है, जिसके आधार पर कहा जा सकता है कि इंसान में जरूर कोई विलक्षण शक्ति कार्य कर रही है, जो पास्ट, फ्यूचर अथवा प्रेजेंट में झाँकने की क्षमता रखती है।

भविष्य में होने वाली घटना का पहले से संकेत मिलना ही पूर्वाभास यानी टैलीपैथी है। कुछ लोगों में यह विशिष्ट ज्ञान काफी विकसित होता है। सामान्यतः हम पाँच ज्ञानेन्द्रियों(सेंसस) के जरिए वस्तु या दृश्यों का विवेचन कर पाते हैं, परंतु कभी-कभी या किसी में छठी इन्द्रिय जागृत हो जाती है। इस इन्द्रिय को विज्ञान ने अतीन्द्रिय ज्ञान (एक्स्ट्रा सेंसरी परसेप्शन) का नाम देते हुए अपनी बिरादरी में शामिल कर लिया है।

पाश्चात्य वैज्ञानिकों ने इंसान की इस पूर्वाभास की शक्ति को चार वर्गों में बाँटा है :

परोक्ष दर्शन-
अर्थात वस्तुओं और घटनाओं की वह जानकारी, जो ज्ञान प्राप्ति के बिना ही उपलब्ध हो जाती है।

भविष्य ज्ञान-
यानी बिना किसी मान्य आधार के भविष्य के गर्भ में झाँककर घटनाओं को घटित होने से पूर्व जान लेना।

भूतकालिक ज्ञान-
बिना किसी साधन के अतीत की घटनाओं की जानकारी।

टेलीपैथी-
webdunia
ND
अर्थात बिना किसी आधार या यंत्र के अपने विचारों को दूसरे के पास पहुँचाना तथा दूसरों के विचार ग्रहण करना। इसके अलावा साइकोकाइनेसिस, सम्मोहन, साइकिक फोटोग्राफी आदि को भी परामनोविज्ञानियों ने अतीन्द्रिय शक्ति में शुमार किया है।

विल्हेम वॉन लिवनीज नामक वैज्ञानिक का कहना है- 'हर व्यक्ति में यह संभावना छिपी पड़ी है कि वह अपनी इंटियूशन पॉवर को जगाकर फ्यूचर को प्रेजेंट के दर्पण में देख ले।' केम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के एक विद्वान एड्रियन डॉन्स ने फरमाया था, 'भविष्य में घटने वाली हलचलें वर्तमान में मानव मस्तिष्क में एक प्रकार की तरंगें पैदा करती हैं, जिन्हें साइट्रॉनिक वेवफ्रंट कहा जा सकता है।

इन तरंगों के अहसास को मानव मस्तिष्क के न्यूरान्स पकड़ लेते हैं। इस प्रकार व्यक्ति भविष्य-कथन में सफल होता है। उनके मुताबिक मस्तिष्क की अल्फा तरंगों तथा साइट्रॉनिक तरंगों की आवृत्ति एक-सी होने के कारण सचेतन स्तर पर जागृत मस्तिष्क द्वारा ये तरंगें सहज ही ग्रहण की जा सकती हैं।

डरहम यूनिवर्सिटी, इंग्लैंड के गणितज्ञ डॉ. गेरहार्ट वांसरमैन का कथन है, 'मनुष्य को भविष्य का आभास इसलिए होता रहता है कि विभिन्न घटनाक्रम टाइमलेस (समय-सीमा से परे) मेंटल पैटर्न (चिंतन क्षेत्र) के रूप में विद्यमान रहते हैं। ब्रह्मांड का हर घटक इन घटनाक्रमों से जुड़ा होता है, चाहे वह जड़ हो अथवा चेतन।'

'एक्सप्लोरिंग साइकिक फिनॉमिना बियांड मैटर' नामक अपनी चर्चित पुस्तक में डी-स्कॉट रोगो लिखते हैं, 'हमारी कल्पनाएँ तथा भावनाएँ डिस्चार्ज ऑफ वाइटल फोर्स हैं।

यही डिस्चार्ज अंतःकरण में कभी-कभी स्फुरणा यानी फीलिंग्स या ‍विशेष अहसास बनकर प्रकट होते हैं। जब यह दो व्यक्तियों के बीच होता है तो टेलीपैथी कहा जाता है और यदि यह समय-सीमा से परे भविष्य की सूचना देता है तो इसका आधारभूत कारण कॉस्मिक अवेयरनेस यानी ब्राह्मी चेतना होता है।' इस चेतना का जिक्र आइंस्टीन के सापेक्षवाद के सिद्धांत में मिलता है। उन्होंने लिखा है, 'यदि प्रकाश की गति से भी तीव्र गति वाला कोई तत्व हो तो वहाँ समय रुक जाएगा। दूसरे शब्दों में, वहाँ बीते कल, आज और आने वाले कल में कोई अंतर न रहेगा।'

दरअसल हम सबमें थोड़ी-बहुत टैलीपैथी होती है, लेकिन कुछ लोगों में यह इतनी स्ट्रांग होती है कि वह अपनों के साथ घटने वाली अच्छी और बुरी दोनों प्रकार की घटनाओं को आसानी से जान लेते हैं। हालाँकि अभी तक प्रामाणिक रूप से ऐसी कोई उपलब्धि वैज्ञानिकों को हासिल नहीं हो सकी है, जिसके आधार पर टेलीपैथी के रहस्यों से पूरा पर्दा उठ सकें।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi