कन्या लग्र वाले जातक अकसर मध्यम कदकाठी के होते हैं और यदि राशि भी कन्या हो तो निश्चित ही कद मध्यम होगा। कन्या लग्र पृथ्वी तत्व प्रधान है। बुध ग्रह होने से ऐसे जातक बुद्धिमान वणिक प्रकृति के होते हैं। इस लग्र में बुध की दूसरी राशि दशम कर्म, व्यापार, उच्च नौकरी भाव में है। इस लग्र में नवम भाव जो धर्म भाग्य यश का कारक है। इसकी दूसरी राशि तुला द्वितीय वाणी, कुटुंब, बचत भाव में आती है। इन राशियों का स्वामी शुक्र है। शुक्र धन ऐश्वर्य भोग का कारक है, वहीं बुध ज्ञान, व्यापार का कारक है।
जब इन ग्रहों की शुभ स्थिति जन्म लग्न में बैठ जाए तो उस जातक को धन, ऐश्वर्य, बुद्धि, व्यापार, यश में सफलता मिलती है, वहीं कुटुंब का भी विशेष योगदान मिलता है एवं उसकी वाणी में भी प्रभाव होता है। शुक्र यदि नवम भाव में हुआ तो भाग्य बल से धन कुटुंब, यश का सुख मिलेगा। ऐसा जातक धनी वाहनाधिपति भी होगा।
आर्थिक मामलों में उसे कभी कमी नहीं आएगी। यदि भाग्य की महादशा उस जातक के जीवन में 10 वर्ष या 15 वर्ष की अवस्था में लगे तो निश्चित ही भाग्यशाली होगा तथा सभी सुख पाने वाला होगा। यदि इसके साथ बुध का संयोग हो जाए तो वह जातक उत्तम लेखक, व्यापारी, प्रकाशक, पत्रकार भी हो सकता है। शुक्र की स्थिति यदि वृश्चिक राशि पर हो तो वह जातक निश्चित भोगी होगा।
इसके संबंध अन्यत्र भी हो सकते हैं। लेकिन भाग्यशाली अवश्य होगा। बुध शुक्र दशम भाव में हो तो उच्च व्यापार में सफलता पाने वाला होगा। ऐसे जातक को कपड़ों के, सौंदर्य प्रसाधनों, स्त्री वस्त्राभूषणों के व्यापार से सफलता मिलती है।
शुक्र धनाभाव द्वितीय में हुआ, तब भी धनी बनाएगा। बुध यदि लग्न में हुआ तो उसे पिता का साथ मिलेगा व स्वयं भी बुद्धिमान होगा। ऐसे जातक राजनीतिक में, सलाहकार, बैंक, एजेंट आदि क्षेत्र में सफल होते हैं।
शुक्र बुध का मिलन भाग्यभाव में हो उसे होटल के व्यवसाय में भी सफल बनाता है। ऐसा जातक दलाली में भी सफल हो सकता है। शुक्र की शुभ स्थिति द्वितीय, तृतीय, पंचम, सप्तम व नवम भाव है। बुध की शुभ स्थिति दशम, लग्र, चतुर्थ, सप्तम दशम भाव है।
बुध का रत्न पन्ना है, जो 5 कैरेट का बुधवार को स्वर्ण में जड़वाकर बुधवार को प्रातः विधिपूर्वक धारण कनिष्ठका में करें। हीरा या जरकन शुक्रवार को चाँदी में बनवाकर लाभ मुहूर्त में तर्जनी में धारण करें।