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कुंडली से जानें अपनी किस्मत का प्यार

कुंडली से पहचानें प्यार के सितारे

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पं. अशोक पँवार 'मयंक'

* जन्मकुंडली में प्यार के शुभ-अशुभ संकेत

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प्यार और ज्योतिष के बीच क्या संबंध है? अगर है तो कैसा है? क्या कुंडली से जाना जा सकता हैं साथी का प्यार? क्या ग्रह-नक्षत्र बताते हैं कि कौन कितना और कैसा प्यार करेगा? ज्योतिषी पं. अशोक पवांर मयंक बता रहे हैं जन्मकुंडली में प्यार के संकेत -


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* प्यार का कारक ग्रह शुक्र जब पंचम प्रेम के भाव से युति करे तो वो जातक सच्चा प्रेमी होता है। यदि लग्नेश का साथ हो तो वो व्याक्ति जीने-मरने तक की हर हद को पार कर सकता है।

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* शुक्र के साथ या पंचम भाव के स्वामी के साथ चन्द्र हो तो वह व्यक्ति प्यार में संवेदनशील होता है। अकसर प्यार में उन्हें धोखा मिलता है।


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* जिनकी कुंडली में शुक्र अगर राहु व चंद्र से पीड़‍ित ग्रहों के प्रभाव में हो प्यार में वह आत्महत्या कर सकते हैं। शुक्र के साथ राहु-चंद्र हो और शनि, मंगल से पीड़ित हों। शुक्र नीच का होकर लग्नस्थ हो व उस पर शनि-मंगल की दृष्टि पड़ रही हो।

मन का कारक चंद्र-राहु से पीड़ित होकर लग्न के स्वामी के साथ हो या शुक्र नपुसंक ग्रहों के साथ होकर लग्न के स्वामी से संयोग करता हो, ऐसी स्थिति में प्यार में घातक कदम उठाने के संकेत मिलते हैं।

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* प्रकृति से प्यार करने वालों का शुक्र जलतत्व की राशि में होकर उन्हीं ग्रहों के साथ होता है। जल तत्व की राशि कर्क, वृश्चिक, मीन होती हैं। मंगल वृश्चिक व मीन में जलतत्व का होता है, उसी प्रकार कर्क में भी होता है लेकिन कर्क में नीच का होता है। जलतत्व की राशियों में ग्रह सौम्य कहलाते हैं।


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* प्यार में दीवानगी तब होती है जब शुक्र के साथ चंद्र व मंगल, मकर, वृश्चिक, कुंभ या सिंह राशि में हो। सच्चे प्यार के लिए शुक्र का जन्म के समय निर्दोष होना जरूरी होता है।


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