Biodata Maker

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

कैसा रहेगा मेष में गुरु का भ्रमण

मेष में गुरु का आगमन

Advertiesment
हमें फॉलो करें मेष राशि
- पं. अशोक पवार मंयक
ND

गुरु 8 मई 2011 को मेष राशि में दोपहर 3 बजकर 30 मिनट पर 00 अंश पर केतु के नक्षत्र अश्विनी के पहले चरण में प्रवेश करेगा। इस समय कन्या लग्न मीन नवांश थी। गुरु के साथ द्वादशेश सूर्य उच्च का है वहीं स्वराशिस्थ मंगल भी साथ है। इस समय गुरु चतुर्थ जनता, भूमि, माता, संपत्ति भाव के साथ-साथ सप्तम दैनिक व्यापार, स्त्री भाव का कारक भी है जो इन भावों से संबंधित मामलों में कुछ क्षति का कारण भी बनता है।

मेष लग्न में गुरु एकादशेश व भाग्येश होकर वैसे देखा जाए तो गुरु दोनों सूर्य व मंगल के साथ अग्नि तत्व की राशि मेष में है। इस प्रकार भिन्न-भिन्न राशियों व लग्नों पर अलग-अलग प्रभाव डालेगा। सामान्यजन पर प्रभाव देखा जाए तो जनता दुःखी रहेगी। न्याय के क्षेत्र में और सख्ती आएगी, राजनीति से जुड़े मामलों के भ्रष्टाचार में लगाम लगेगी व कई नेता शर्मसार होंगे।

अब बारह राशियों व लग्नों पर पड़ने वाला प्रभाव जानेंगे।

webdunia
ND
मेष : मेष लग्न व मेष राशियों को गुरु नवम भाग्येश व द्वादशेश होकर लग्न से गोचर भ्रमण करने से भाग्य में प्रगति होकर धर्म-कर्म में मन लगेगा व यश में वृद्धि होगी, बाहरी मामलों में सफलता मिलेगी। किसी कारण विदेश यात्रा टल रही हो तो जाने का सुअवसर मिलेगा। संतान व विद्या के क्षेत्र में सफलता के अवसर मिलेंगे।

वृषभ : वृषभ राशि व लग्न वालों के लिए गुरु अकारक होता है जो अष्टमेश व एकादशेश होकर व्यय भाव बारहवें से भ्रमण करने से स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डाल सकता है। जन्म स्थान से दूर लाभ देगा। पारिवारिक मामलों में कुछ स्थिति सुधारजनक रहेगी। जनता से संबंधित मामलों में सफलता पाएंगे।

मिथुन : मिथुन लग्न व राशि वालों के लिए गुरु सप्तमेश व दशमेश होगा। दो केन्दों का स्वामी होने से तटस्थ रहेगा फिर भी देखने में आया है की गुरु का अशुभ फल नहीं होता। इस राशि व लग्न वालों के लिए एकादश भाव से गोचर भ्रमण करने से आय के मामलों में सुधारजनक स्थिति रहेगी। अविवाहितों के लिए प्रसन्नतादायक स्थिति होने से विवाह योग बनेंगे। व्यापार-व्यवसाय में, नौकरी के क्षेत्र में, पिता से लाभ रहेगा। दाम्पत्य जीवन में सुधार आएगा।

कर्क : कर्क लग्न व राशि वालों के लिए गुरु षष्ठेश व नवम भाग्येश होने से प्रथम के साढे़ छ: माह साधारण फल देगा फिर बाकि के समय में भाग्य वृद्धि, यश, कई महत्वपूर्ण कार्यों में सफलतादायक रहेगा। इस अवधी में पुखराज पहन कर उत्तम फल प्राप्त किए जा सकते है।

सिंह : सिंह राशि व लग्न वालों के लिए पंचमेश व अष्टमेश होने से प्रथम के साढे़ छ: माह शुभ फलदाई रहेगा व बाकि के समय में स्वास्थ्य का ध्यान रखना होगा। पूर्व के समय में संतान लाभ, विद्या लाभ रहेगा। विशेष परिक्षाओं में सफलता मिलेगी।

कन्या : कन्या लग्न व राशि वालों के लिए गुरु चतुर्थ व सप्तम भाव का स्वामी होगा व इस लग्न व राशि से अष्टम भाव से भ्रमण करने के कारण माता को कष्ट, परिवारिक मामलों में बाधा, पत्नी को कष्ट, दैनिक व्यवसाय से जुड़े व्यक्तियों के लिए परेशानी का कारण बनता है। ऐसी स्थिति में हर गुरुवार को पीपल में जल चढ़ाएँ। साथ ही किसी भी मन्दिर में पांच केले चढ़ाएं।

तुला : तुला लग्न व राशि वालों के लिए तृतीयेश व षष्ठेश होकर सप्तम भाव से गोचर भ्रमण करने से अपने जीवन साथी के सहयोग से लाभ रहेगा। पराक्रम द्वारा सफलता मिलेगी। शत्रु पक्ष पर अपनी विनम्रता से सफलता पाएंगे। अशुभ फल मिलने पर अपने जीवन साथी को पुखराज पहनाएं।

webdunia
WD
वृश्चिक : वृश्चिक लग्न राशिवालों के लिए गुरु द्वितीय व पंचम भाव का स्वामी होकर गुरु का गोचरीय भ्रमण षष्ठ भाव से होने से विद्यार्थी वर्ग को पढ़ाई में अधिक ध्यान देना होगा। संतान पक्ष के मामलों में सावधानी रखना होगी। वाणी पर सतर्कता रखना होगी। धन संबंधित मामलों में सावधानी रखें। नाना, मामा से लाभ मिल सकता है।

धनु : धनु लग्न व राशि वालों के लिए लग्नेश व चतुर्थ भाव का स्वामी होकर पंचम भाव से भ्रमण करने से आपके कई महत्वपूर्ण कार्य सफल होंगे। संतान से लाभ मिलेगा। विद्यार्थी वर्ग भी अनुकूल स्थिति पाएँगे। प्रभाव में वृद्धि होगी।

मकर : मकर लग्न व राशि वालों के लिए गुरु तृतीय व द्वादश भाव का स्वामी होकर गुरु का भ्रमण चतुर्थ भाव से होने के कारण पराक्रम अधिक करने पर अपने कार्य में सफलता भी पाएंगे। भाईयों, मित्रों का सहयोग मिलेगा। यात्राओं के योग बनेंगे। माता, भूमि-भवन के कार्य में सुधार रहेगा। यदि बाहर रहते हैं तो अपने घर पर आने का सुअवसर मिलेगा।

कुंभ : कुंभ लग्न व राशि वालों के लिए गुरु द्वितीय भाव व एकादश भाव का स्वामी होकर तृतीय भाव से भ्रमण करने से पराक्रम द्वारा आर्थिक लाभ के योग बनेंगे। घर बैठे कोई भी कार्य बनने वाला नहीं है। वाणी द्वारा, कुटुंब के व्यक्तियों के द्वारा लाभ रहेगा।

मीन : मीन लग्न व राशि वालों के लिए गुरु लग्न व दशम भाव का स्वामी होकर द्वितीय भाव से भ्रमण करने से धन-धान्य की वृद्धि होगी। वाणी द्वारा लाभ मिलेगा। राजकाज के कार्यों में सफलता मिलेगी। व्यापार आदि में प्रगति अच्छी होगी एवं नौकरी में भी सफलता पाएंगे। पिता का सहयोग सराहनीय रहेगा। इस समय पुखराज पहनना उन्नतिदायक रहेगा। शुभाशुभ परिणाम जन्म के समय गुरु मित्र क्षैत्री, स्वराशिस्थ या उच्च का हो तो उत्तम रहता है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi