ज्योतिष के सही-सही आकलन के लिए जरूरी है कि जातक का गण भी पता हो। यह जानना बेहद आवश्यक है कि व्यक्ति ने कौन से गण में जन्म लिया है।
गण तीन प्रकार के होते हैं-
1. देवगण, 2. मनुष्य गण, 3. राक्षस गण।
सुंदरों दान शीलश्च मतिमान् सरल: सदा। अल्पभोगी महाप्राज्ञो तरो देवगणे भवेत्।।
इस श्लोक में कहा गया है कि देवगण में उत्पन्न पुरुष दानी, बुद्धिमान, सरल हृदय, अल्पाहारी व विचारों में श्रेष्ठ होता है।