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जानें क्या है मघा नक्षत्र !

मघा नक्षत्र में जन्मे जिम्मेदारियों को निभाने वाले होते हैं

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पं. अशोक पँवार 'मयंक'

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मघा नक्षत्र का नक्षत्र मंडल में दसवाँ स्थान है। मघा नक्षत्र के चारों चरण सिंह राशि में आते हैं। इस नक्षत्र का स्वामी केतु है। राशि स्वामी सूर्य है। मघा नक्षत्र में जन्मे जातक अधिक जिद्दी स्वभाव के तथा मध्यम कदकाठी के होते है।

अकसर इनकी लंबाई 5 फुट 6 इंच के आसपास होती है। ऐसे जातकों के रोम अधिक होते हैं। ये स्पष्टवादी, निर्भीक, साहसी, घमंडी होते हैं, लेकिन स्वयं के कार्य में फुर्तीले होते हैं। इनको आदेश देकर कोई काम नहीं करवाया जा सकता है, बल्कि इनसे नम्रतापूर्वक या आग्रह करके कोई भी कार्य निकाला जा सकता है। ये किसी भी बात को जल्दी ही समझ जाते हैं, बस समझाने वाला होना चाहिए।

ऐसे जातक विद्वानों के बीच सम्माननीय भी होते हैं। ये व्यवहार में दूसरे के प्रति अत्यंत कुशल होते हैं। अनावश्यक लोगों से ये दूरी बनाए रखते हैं। ऐसे जातक किसी भी प्रकार से अन्याय सहन नहीं करते न ही झूठ बोलना पसंद करते है। इस प्रकार के जातक कोई ऐसा कार्य करते हैं, जिसके कारण इन्हें शोहरत मिलती है।

इस नक्षत्र में जन्मी कन्या मुँहफट, स्पष्टवादी, जल्द मान जाने वाली, निर्भीक, साहसी, स्वार्थी, उच्चाभिलाषी, उच्चस्तर की आजीविका पसंद करने वाली, विशिष्ट पदों पर पहुँचने वाली, गुप्त कार्यों में रुचि रखने वाली भी होती हैं। कुछ एक लड़कियाँ खेल जगत में भी देखी जा सकती हैं।

उपरोक्त दोनों ही आर्थिक क्षेत्र में अपने परिश्रम द्वारा ही संपन्नता प्राप्त करते हैं। ये बड़ों के प्रति आस्थावान भी होते हैं। इस नक्षत्र में जन्मी महिलाओं पर सूर्य व केतु का अधिक प्रभाव होने से ये जिद्दी होने के कारण अपना दांपत्य जीवन नष्ट कर लेती हैं या ये अपने पति पर अपनी धाक जमाए रहती हैं। यदि शनि केतु के नक्षत्र मघा में हो और मंगल की दृष्टि शनि पर हो तो उसका पारिवारिक जीवन खराब ही रहता है। ऐसे जातक अपने भाई-बहन को अधिक चाहने वाले व उनकी जिम्मेदारियों को पूर्ण रूप से वहन करने वाले होते हैं।

शिक्षा के क्षेत्र में यदि चंद्रमा के साथ गुरु की युति हो तो इस नक्षत्र में जन्मी महिला ऐशोआराम का जीवन जीने वाली, डॉक्टर, वकील या प्रशासनिक सेवाओं में भी होती हैं। इनका विवाह उच्च घर में होता है। यदि सूर्य नीच का हो व शनि-केतु के नक्षत्र में हों तो उनका पारिवारिक जीवन नष्ट हो जाता है या तनावपूर्ण बना रहता है।

यदि सूर्य उच्च का या स्वराशि का हुआ तो ऐसे जातक प्रशासकीय विभाग में लेखक, पत्रकार आदि कार्यों में सफलता पाते हैं। यदि उधा का सूर्य हो और गुरु की दृष्टि पड़ रही हो तो ऐसे जातक धर्म के प्रति निष्ठावान, न्यायप्रिय, स्नेही, अपने मित्रों का भला चाहने वाले एवं भाग्यशाली भी होते हैं। यदि इनका जन्म पूर्णिमा में हुआ हो तो ये अत्यंत धनवान भी होते हैं। यदि जन्म लग्न में सूर्य-केतु साथ हो तो ये जिद्दी भी होते हैं एवं जिस भाव में होंगे, उस भाव की स्थिति अनुसार प्रभावशील होंगे। इनमें अपूर्व विचारशक्ति एवं सही पूर्वानुमान लगाने की भी अद्‍भुत क्षमता होती है।

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