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तीन देव और तीन राजा के मिलन का संयोग

रामनवमी : 6 महामुहूर्त का शुभ योग

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हमें फॉलो करें राम नवमी चैत्र मास शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का जन्म हुआ था। जाने श्रीराम नवमी के बारे में जानकारी रामनवमी विशेष पर
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एक अप्रैल चैत्र शुक्ल पक्ष रामनवमी को स्वयं सिद्घि तिथि के दिन भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था। इस महापर्व पर महामुहूर्त दिव्य संयोग 10 वर्ष बाद बन रहा है, जो इस दिन को शुभता प्रदान कर रहा है। इस संयोग में तीन देवों और तीन राजाओं के मिलन का योग बन रहा है।

ज्योतिषाचार्य पंडित धर्मेंद्र शास्त्री ने बताया कि रामनवमी के दिन जो भी कार्य किए जाएंगे वे कई गुना अधिक शुभ फल देंगे, क्योंकि रविवार जिसके स्वामी नव ग्रहों के राजा सूर्यदेव हैं। पुष्य नक्षत्र जो सभी नक्षत्रों का राजा है, जिसके स्वामी देव गुरु बृहस्पति हैं।

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सुकर्मा योग और कोलव करण के साथ सर्वार्थ सिद्घि योग के साथ समस्त कुयोगों का नाशक रवि योग भी उस दिन होने से दिव्य संयोग बन रहा है। मध्यान्ह काल में ठीक 12 बजे भगवान रामलला का जन्मोत्सव मनेगा। उसी दिन प्रातः से देर रात तक रवि पुष्य सर्वार्थ सिद्घि योग होगा।

इस शुभ घड़ी में व्यापार की शुरुआत, पद भार, वाहन क्रय, नवीन कार्य की शुरुआत शुभ रहेगी। बीते 68 वर्षों में ऐसा संयोग 9 बार बना है। अब दसवीं बार यह महासंयोग 1 अप्रैल को 2012 को बनेगा।

राम नवमी के शुभ संयोग :-

* नक्षत्रों के राजा पुष्य नक्षत्
* नवग्रहों के राजा सूर्य का रविवार।
* चैत्रीय नवरात्रि महानवमी पर्व।
* सर्वार्थ सिद्घि योग रवि पुष्य योग।
* समस्त कुयोगों को नष्ट करने वाला रवि योग।

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