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तुला का शनि और ज्योतिषियों के मत

शत्रु देशों की पराजय और देश का होगा विकास

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* प्रियंका और मायावती छाएंगी
ज्योतिषी एमएस श्रीवास्तव का मानना है कि तुला का शनि देश के विकास को गति देगा। भारत की जन्म कुंडली वृषभ लग्न की है और शनि ढा़ई साल तक सप्तम घर में रहेगा। इसके प्रभाव से शत्रु देश भारत के खिलाफ अपनी योजनाओं में पराजित होंगे व देश के विकास कार्यों व तकनीकी क्षेत्र में वृद्घि होगी। विश्व बाजार की मंदी का देश की अर्थव्यवस्था पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ेगा।

इस साल अक्टूबर में सिंह राशि में मंगल 8 माह तक रहेगा जो हठ योग बना रहा है। इस कारण जून 12 तक देश में आंतरिक विद्रोह, व्यापारिक उतार-चढ़ाव, आगजनी व प्राकृतिक दुर्घटनाएं होंगी। राजनीतिक परिदृश्य में गठबंधन टूटेंगे व नए बनेंगे। प्रियंका गांधी, मायावती का कर्क लग्न होने से प्रभाव बढ़ेगा।

तुला लग्न में जन्मे गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी महत्वपूर्ण राजनीतिक भूमिका में दिखाई देंगे। मध्यप्रदेश में कांग्रेस का प्रभाव बढ़ेगा। प्रदेश भाजपा में शीर्ष बदलाव के साथ कई मुखौटे बदलेंगे। भाजपा की ताकत घटेगी पर उसके सत्ता में लौटने के संकेत दिखाई देते हैं।

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न्याय व्यवस्था का बढ़ेगा प्रभाव : पंडित प्रहलाद कुमार पंड्या का कहना है कि तुला का शनि पृथ्वी पर आग्नेय उपद्रव, विद्युत संकट, खाद्यानों में कमी व भावों में वृद्धि करेगा। आतंकी प्रभाव में वृद्धि से जनमानस व विशेष कर महात्माओं को कष्ट होगा। देश में न्यायपालिका का प्रभाव बढ़ेगा, क्योंकि शनि न्यायकारक ग्रह है। सरकार को न्यायालय के तीखे तेवर देखने को मिलेंगे व कार्यपालिका तथा व्यवस्थापिका को न्याय सिद्धांतों का पालन करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा।

23 मई से 4 जून 2012 के मध्य वृषभ राशि में सूर्य, बुध, शुक्र, गुरु व केतु का पंचग्रही योग भय के साथ जनहानि, प्राकृतिक प्रकोप, रेल व वायु दुर्घटनाओं की शंका स्थापित करता है। केंद्र व प्रदेश सरकार को नई-नई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। राजनीतिक व श्रम आंदोलन होंगे। मंत्री परिषद के सदस्यों पर भ्रष्टाचार व पद के दुरुपयोग के आरोप लगेंगे। हिंसा, अपराध व जलसंकट सरकार की चिंता में वृद्धि करेंगे। देश की सीमाओं पर सैन्य हलचल तेज होगी।

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पश्चिमी राज्यों व राष्ट्रों के लिए ठीक नहीं : युवा ज्योतिषी पराजेश मिश्रा के मुताबिक 15 नवंबर से तुला राशि में प्रवेश के बाद शनि 7 फरवरी 2012 से वक्री होगा। शनि का यह वक्री भ्रमण 22 अप्रैल 2012 तक रहेगा। इस कारण विशेषकर दक्षिण-पश्चिम राज्यों में प्राकृतिक विपदाओं के साथ राजनीतिक उठापटक व उथल-पुथल दिखाई देगी।

महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश ज्यादा प्रभावित होंगे। मजदूर वर्ग व महिला वर्ग की परेशानी बढ़ेगी। पेट्रोल, लोहा, प्लास्टिक आदि में उतार-चढ़ाव रहेगा। पंजाब व दिल्ली को राजनीतिक व प्राकृतिक संकटों का सामना करना होगा। पंडित मिश्रा के अनुसार 'र' से शुरू होने वाले नाम के राजनेताओं की ताकत बढ़ेगी। सांवले रंग के व्यक्ति का राजनीतिक परिदृश्य में अचानक प्रवेश होगा।

देश व प्रदेश सरकार को श्रम आंदोलनों व उग्र प्रदर्शन से दो-चार होना पड़ेगा। 7 फरवरी 2012 के बाद देश में वायुयान व रेल दुर्घटनाएं अधिक होंगी।

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