ज्योतिष शास्त्र में शनि का जिक्र होते ही व्यक्ति के मन में भय व शंका का प्रादुर्भूत होता है। ये क्रूर ग्रह थोड़ी-सी स्तुति से तुरंत प्रसन्न हो जाते हैं।
महर्षि पिप्लाद ने इनकी संतुष्टि के लिए दस नामों की रचना की है। इन नामों का उच्चारण प्रतिदिन प्रातः काल स्नान करके करने से शनि की प्रतिकूलता, उनकी साढ़े साती, उनकी ढैया में किसी प्रकार का कष्ट नहीं होकर उनकी कृपा होती है।
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नमस्ते कोण संस्थाय पिंगलाय नमोऽस्तुते। नमस्ते बभ्रुरुपाय कृष्णाय नमोऽस्तुते॥