देश के लिए कैसा रहेगा 65वां स्वतंत्रता दिवस
- पं. अशोक पवांर मंयक
आजादी के चौसठ वर्ष बीतने के बाद भी देश सच्ची आजादी की राह अब भी जोह रहा है। 16 अगस्त से भ्रष्टाचार से मुक्ति दिलाने वाला लोकपाल बिल सशक्त बनाने के लिए अन्ना हजारे अपनी जान की परवाह न करते हुए अनशन पर बैठने वाले है। इधर भारत के प्रधानमंत्री की मंशा भी संदिग्ध नजर आ रही है। महंगाई चरम पर पहुंच चुकी है, भ्रष्टाचार भी चरम पर है, नित नए घोटाले उजागर होते जा रहे हैं। नेतागण तरह-तरह से बच निकलने के तरीके ढूंढ रहे हैं। काला धन आने की उम्मीद भी दम तोड़ती नजर आ रही है। आखिर क्या होगा हमारे भारत देश का? आज भी देश को स्वर्गीय लालबहादुर जैसे प्रधानमंत्री की आवश्यकता है, फिर से भगत सिंह को जन्म लेना होगा तभी देश बच पाएगा। नहीं तो एक बार फिर देश की बागडोर किसी दूसरे के हाथ होगी और यह बहुत नामुमकिन नहीं है। कहीं हम फिर से सन् 1947 के पीछे की तरफ तो नहीं जा रहे हैं। आनेवाला समय देश व देश की जनता के लिए शुभ नहीं है ऐसे ही ग्रहों के संकेत भी है। 15
अगस्त की 65वीं बेला पर कर्क लग्न का उदय दिल्ली में हो रहा है। लग्न चन्द्र प्रधान व चर होने के साथ-साथ जलतत्व प्रधान होने से जो भी प्रस्ताव होगा, ठोस न होकर ढुलमुल ही रहेगा। सूर्य द्वितीय भाव का स्वामी जो मारक भाव भी है, सम होकर बैठा है। उसके साथ जनता भाव व एकादश आय भाव का स्वामी शुक्र अतिशत्रु होने से जनता परेशान रहेगी। वहीं जनता के सुखों में कमी आएगी। महंगाई के कारण जनता आर्थिक दृष्टि से कमजोर होती जाएगी। आत्महत्या, मार-काट, हत्याओं आदि में वृद्धि होगी। लग्नेश चन्द्र कुंभ राशि का होकर अष्टम में होने से देश के प्रधान प्रभावशील नहीं रहेंगे। तृतीय भाव व द्वादश भाव का स्वामी बुध वक्री होकर द्वितीय भाव में होने से प्रधानमंत्री की मुश्किलें बढ़ाने वाला होगा। तृतीय भाव में सप्तमेश व अष्टमेश शनि के होने से पराक्रम में वृद्धि होगी, लेकिन पंचम भाव पर मंगल की राशि वृश्चिक पर शत्रु दृष्टि पड़ने से कुछ निर्णय गलत भी हो सकते हैं। वहीं पर राहु भी है, जो बुद्धि को भ्रमित करेगा। देश की जनता भी भ्रमित होगी। नेतागण कुटनीति से बच निकलने के तरीके निकाल ही लेंगे।
पंचम भाव व दशम भाव का स्वामी मंगल द्वादश में मिथुन राशि का होकर सप्तमेश व अष्टमेश शनि पर होने से कोई अनहोनी की आशंका भी है। शनि-मंगल का दृष्टि संबंध अशुभ घटनाओं को जन्म देता है। अनहोनी होने से जन-धन की हानि होने की संभावना है। भाग्य, धर्म, यश व षष्ट शत्रु, रोग भाव का स्वामी गुरु, दानवों के देवता शुक्र, भरणी के नक्षत्र में होने से काला धन आने में भारी कठिनाई के साथ उन लोगों के नाम नहीं आ पाएंगे। ऐसा ग्रहों की स्थिति बता रही है। वैसे न्यायपालिका सख्त नजर आएगी। भारत के इतिहास में सबसे अधिक घोटालों की सरकार मनमोहन की ही रहेगी। पंचम भाव व दशम भाव का स्वामी मंगल राहु के नक्षत्र में आर्द्रा में होने से नेताओं की बुद्धि भ्रष्ट होगी। 65
वें वर्ष की बेला पर दशा भी राहु में शनि के साथ मंगल की है, जो 12 सितंबर 2011 तक रहेगी। यह समय देश के लिए ठीक नहीं है।