ग्रह-नक्षत्रों की विषम परिस्थितियों में होने के कारण पिछले चार महीने से शहनाई पर एक तरह से विराम लगा हुआ था। लगभग सप्ताह भर बाद शादी की रौनक दिखाई देने लगेगी और चारों ओर लंबे अंतराल के बाद शहनाई की गूँज सुनाई देगी।
ऐसे युवक-युवतियों का इंतजार अब खत्म होने वाला है, जो शादी-ब्याह के बंधन में बंधना चाहते हैं या फिर जिनका लगन हो चुका है। 15 मई के बाद सारे ग्रह, नक्षत्र अपने अनुकूल कक्ष में पहुँच जाएँगे, साथ ही मलमास की समाप्ति भी हो जाएगी। इसके साथ ही शादी-ब्याह जैसे माँगलिक कार्यों के लिए रास्ते खुल जाएँगे।
ज्योतिषियों के अनुसार 15 अप्रैल से 14 मई का समय मलमास होने के कारण शादी-ब्याह, गृह प्रवेश सहित अन्य माँगलिक कार्यों के लिए शुभ नहीं है। इस वर्ष दो बैसाख माह पड़े है। पहला माह 31 मार्च से शुरू होकर 28 अप्रैल तक चला। दूसरा बैसाख 29 अप्रैल से 27 मई तक रहेगा। 15 अप्रैल से 14 मई तक की अवधि मलमास के रूप में रहेगी।
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इस अवधि में शादी-ब्याह, गृह प्रवेश, वाहन खरीदी जैसे शुभ कार्य शुरू नहीं किए जाते हैं। लिहाजा चैत्र के बाद अब दूसरे बैसाख में शादियाँ हो सकेंगी। पं. ब्रम्हदत्त मिश्र ने बताया कि बैसाख के द्वितीय पखवाड़े में 15 मई से विवाह मुहूर्त शुरू हो जाएँगे। 16 मई को विवाह मुहूर्त नहीं होने के बावजूद अक्षय तृतीया व देव लग्न मान कर ग्रामीण अंचल सहित शहरों में भी शादियाँ होंगी। इस दिन के बाद से शादियों की धूम शुरू हो जाएगी।
पंचांग के अनुसार मई में 21, 22, 24, 25, 26, 27 तारीख को शुभ मुहूर्त है। इसके बाद ज्येष्ठ का प्रवेश हो जाएगा। ज्येष्ठ में उन लोगों के लिए शादी-ब्याह के लिए परेशानी हो जाएगी, जिन्हें अपने ज्येष्ठ लड़के या लड़कियों की शादी करनी है।
ग्रामीण क्षेत्रों में मान्यता है कि ज्येष्ठ में घर के सबसे बड़े लड़के या लड़की की शादी नहीं की जाती। इनसे छोटे युवक-युवतियों के लिए ज्येष्ठ में 28, 29, 30, 31 मई और 1, 5, 6, 20, 22, 23 जून तक शुभ मुहूर्त है।
फिर 27 जून से आषाढ़ लग जाएगा। इस माह 3, 8, 9, 17 जुलाई को शुभ मुहूर्त है। हिंदू शास्त्रों में मलमास के दौरान भौतिक सुख-सुविधाओं वाले अनुष्ठान, उपवास आदि का विशेष महत्व भी बताया गया है। लिहाजा मलमास को दौरान जगह-जगह श्रीमद् भागवत कथा प्रवचन का व्यक्तिगत तौर पर और सामूहिक रूप से आयोजन किया जाएगा। शुभ मुहूर्त का बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रहे बाजारों में अब रौनक दिखाई देने लगी है।