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यात्रा का शुभ और उत्तम समय कैसे पहचानें

जानिए, यात्रा से पहले किन चीजों का उपयोग बंद कर दें

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यदि किन्हीं जरूरी कारणों से यात्रा शुभ मुहूर्त में न की जा सकें तो उसी मुहूर्त में ब्राह्मण जनेऊ-माला, क्षत्रिय शस्त्र, वैश्य शहद-घी, शूद्र फल को अपने वस्त्र में बांधकर किसी के घर में एवं नगर से बाहर जाने की दिशा में रखें।

उपर्युक्त चीजों के बजाए मन की सबसे प्रिय वस्तु को भी रखा जा सकता है। वैसे यात्रा के उत्तम समय को ऐसे जाना जाता है-


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समयशूल- उषाकाल में पूरब को, गोधू‍लि में पश्चिम को, अर्धरात्रि में उत्तर को और मध्याह्नकाल में दक्षिण को नहीं जाना चाहिए।



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दक्षिण यात्रा का निषेध- कुम्भ और मीन के चन्द्रमा में अर्थात पंचक में दक्षिण कदापि न जाएं।


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चन्द्रमा की दिशा और उसका शुभाशुभ फल- 'मेष सिंह धनु पूरब चन्दा। दक्षिण कन्या वृष मकरन्दा।। पश्चिम कुम्भ तुला अरु मिथुना। उत्तर कर्कट वृश्चिक मीना।।'

अर्थात मेष, सिंह और धनु राशि का चंद्रमा पूर्व में, वृष, कन्या और मकर राशि का दक्षिण में, मिथुन, तुला और कुम्भ का पश्चिम में, कर्क, वृश्चिक, मीन का चन्द्रमा उत्तर में रहता है। यात्रा में चन्द्रमा सम्मुख या दाहिने शुभ होता है। पीछे होने से मरणतुल्य कष्टऔर बाईं ओर होने से धनहानि होती है।


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यात्रा-शुभाशुभ लग्न- कुम्भ या कुम्भ के नवांश में यात्रा कदापि न करें। शुभ लग्न वह है, जिसमें 1, 4, 8, 9 स्थानों में शुभ ग्रह और 3, 6, 11 में पाप ग्रह हों। अशुभ लग्न वह है जिसमें 1, 6, 12वें चन्द्रमा, 10वें शनि, 7वें शुक्र, 12, 6, 8वें लग्नेश हो।


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यात्रा से पहले त्याज्य वस्तुएं- यात्रा के तीन दिन पहले दूध, पांच दिन पहले हजामत, तीन पहले तेल, सात दिन पहले मैथुन त्याग देना चाहिए। यदि इतना न हो सके तो कम से कम एक दिन पहले तो ऊपर की सब त्याज्य वस्तुओं को अवश्य ही छोड़ देना चाहिए।


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