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विधानसभा चुनाव: किसका पलड़ा भारी

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भारती पंडित

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नवंबर 08 में मध्यप्रदेश, राजस्थान, मिजोरम, दिल्ली और छत्तसीगढ़ राज्यों में विधानसभा के चुनावों का बिगुल बज चुका हैं। इनमें से तीन राज्यों में ‍बीजेपी सिंहासन पर काबिज है।

चुनावी मैदान में बीजेपी और काँग्रेस ताल ठोंककर आमने-सामने है। ज्योति‍षीय आकलन के अनुसार भारतीय जनता पार्टी की मूल कुंडली में सूर्य दशम में बली है, शुक्र, शनि, मंगल भी प्रबल है। वर्तमान दशा शुक्र की है जिसमें 19-2-2011 तक बुध का अंतर चल रहा है जो पंचमेश में लग्नेश होने से अति लाभप्रद है। गोचर में शनि परिक्रमा में है, भाग्य पर दृष्टि लाभ देगी। स्थिरता देगी। गुरु का भी दृष्‍टि व स्थान लाभ है। अष्टम का राहु हाथ की सीटों को हानि कर सकता है मगर नए मोर्चे सफलता देंगे।

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वर्ष कुंडली के हिसाब से गुरु का प्रभाव, 5वाँ गुरु विजय, सम्मान, प्रतिष्‍ठा सहयोग दिलाएगा। अत: बीजेपी के लिए पुराने मोर्चों पर विजय पाना आसान ही रहेगा। नेतृत्व में भारी फेरबदल के संकेत, कुछ अच्छे प्रभावशाली लोग भी साथ में जुड़ सक‍ते हैं।

कांग्रेस की लग्न कुंडली में सूर्य बली है पंचमेश शुक्र अस्त है। चंद्र राहु सप्तम में, जो अंतर्घात की संभावनाएँ बनाएगा। राजनीति स्थान पर गुरु का दृष्‍टि लाभ है। वर्तमान में राहु, महादशा में मंगल का अंतर दि. 27-3-09 तक है जो कार्य की सफलता संदिग्ध बताता है। वर्ष कुंडली में भी राहु का प्रभाव है जो प्रयास की असफलता, वेदना, कष्‍ट के संकेत देता है। गोचर में शनि की पराक्रम पर दृष्टि हैं। गुरु दशम में स्थान हानि कर सकता है। कुछ महत्वपूर्ण सीट्‍स जा सकती है, अंतर्घात भी होगा। राहु को जरूर गोचर का स्थान लाभ मिल रहा है। अत: सोची समझी रणनीति तय करके उसे क्रियान्वित करने से लाभ हो सकता है।

आकलन से स्पष्‍ट है कि बीजेपी का पलड़ा-भारी है, हालाँकि विजय का अंतर पहले से कम ही रहेगा, कांग्रेस के अलावा अन्य दलों का वर्चस्व भी दिखाई देगा, जिससे तालमेल लाभ दे सकता है।

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