Biodata Maker

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

शनि पर्वत

शनि पर्वत पर पहुँचकर भाग्य रेखा बनाए भाग्यशाली

Advertiesment
हमें फॉलो करें शनि पर्वत भाग्य भाग्यशाली
webdunia

पं. अशोक पँवार 'मयंक'

ND
जिस प्रकार भाग्य जन्म कुंडली में लग्न से नवम भाव को माना गया है ठीक उसी प्रकार हस्तरेखा में भाग्य रेखा मणिबन्ध से शुरू होकर कहीं भी जाकर समाप्त हो जाती है। कभी-कभी‍ भाग्य रेखा का उद्‍गम स्थान अन्यत्र भी हो सकता है।

* भाग्य रेखा से निकली हुई कोई सहायक रेखा हो तो भाग्य को बल प्रदान करने वाली होती है।
* भाग्य रेखा के साथ कोई रेखा निकल कर शुक्र पर्वत की ओर जाए तो उस व्यक्ति को किसी स्त्री के माध्यम से लाभ मिलेगा।
* मस्तिष्क रेखा से भाग्य रेखा का उद्‍गम हो व तीन शाखा गुरु, सूर्य, बुध पर्वत तक जाए तो ऐसा जातक विश्वविख्यात होता है। अपने कार्य से प्रतिष्ठित होता है।
* भाग्य रेखा के साथ-साथ कई रेखा ऊपर की ओर जाती हो तो ऐसा जातक अतुलनीय धन पाता है।
* जिस जातक की भाग्य रेखा त्रिकोण से प्रारंभ हो तो ऐसा जातक अपनी प्रतिभा के बल पर उन्नति पाता है।
* चंद्र पर्वत को क्रास करती हुई रेखा भाग्य रेखा हो तो ऐसा जातक अपने जीवनकाल में कई बार विदेश यात्रा करता है।
* भाग्य रेखा की सहायक रेखा हो तो ऐसी रेखा वाला जातक भाग्यवान होता है।
* शनि रेखा चंद्र पर्वत से निकलती हो ‍तो ऐसा जातक योगी होता है। लंबी उँगली भी हो‍ तो तांत्रिक भी हो सकता है।
* भाग्य रेखा मस्तक रेखा से आगे स्वस्तिक बना रही हो तो ऐसा जातक प्रतिभाशाली, प्रतिष्ठित होता है। उसका आशीर्वाद लेना ही शुभ होता है।
* यदि भाग्य रेखा स्पष्‍ट सीधी होकर शनि पर्वत से सूर्य पर्वत की और मुड़ जाए तो ऐसा जातक सफल कलाकार होता है।
* भाग्य रेखा मस्तक रेखा से आगे ना बढ़े तो वह जातक अपने दिमाग से कार्य करने वाला व बाधाओं का सामना करने वाला होता है।
* भाग्य रेखा आड़ी-तिरछी हो व कटी हो ‍तो जीवन में अनेक बार बाधाओं का शिकार होता है।
* भाग्य रेखा (शनि रेखा) गहरी स्पष्‍ट हो व लालिमा लिए हुए हो तो वह व्यक्ति शीघ्र प्रगति करता है।
* भाग्य रेखा मणिबन्ध से निकलकर शनि पर्वत तक जा पहुँचे तो ऐसा जातक अत्यंत भाग्यशाली होता है।
* भाग्य रेखा विहिन व्यक्ति अनेक कष्ट पाता है या उन्नति के मार्ग में बाधा आती रहती है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi