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सातवें भाव में छुपा है जीवनसाथी का राज

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किसी भी कन्या की कुंडली के सातवें भाव से उसके होने वाले जीवनसाथी का विचार किया जा सकता है। युवतियों में अक्सर यह जिज्ञासा रहती है कि उनकी शादी कैसे होगी, उनका पति कैसा होगा और उसके साथ उनका तालमेल कैसा रहेगा? यहां पेश है कुछ मूलभूत जानकारी कुंडली के सातवें भाव (जीवनसाथी भाव) के बारे में:

* सप्तम भाव का स्वामी राहु से पीड़‍ित‍ हो तो उसका पति व्यसनी होगा।

* सप्तमेश लग्न में हो तो ऐसी कन्या स्वविवेक से विवाह करती है।

* सप्तम भाव का स्वामी नीच का होकर बैठ जाए तो उसे अपने पति से लाभ की गुंजाइश नहीं रहेगी।

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* सप्तम भाव का स्वामी दशम भाव में उच्च का हो तो ऐसी कन्या का भावी जीवनसाथी व्यापारी या राजनीतिज्ञ भी हो सकता है, लेकिन मोटे शरीर वाला होगा।

* सप्तम भाव में सूर्य, बुध, शुक्र हो तो ऐसी कन्या का पति किसी भी योग्य न होगा।

* सप्तमेश अष्‍टम भाव में हो तो विवाह देर से होगा व पति का सामान्य रंग-रूप का परिश्रमी होगा।

* सप्तमेश षष्ट भाव में हो तो ऐसी कन्या का विवाह देरी से होगा व अनेक बाधाएं आ सक‍ती है।

* सप्तमेश, पंचमेश व लग्नेश की युति हो तो वह कन्या प्रेम विवाह करेगी।

* सप्तमेश शनि चंद्र युति हो तो विवाह बहुत उम्र में होगा या विवाह नहीं भी हो सकता है।

* सप्तमेश केतु मंगल के साथ हो तो संबंध विच्छेद होने की आशंका अधिक रहेगी।

* सप्तम भाव को शनि देखे व मंगल भी हो तो उसका वर ठीक नहीं होगा। विवाह होने के बाद तनाव रहेगा।

उपरोक्तानुसार जन्म कुंडली में ग्रह हो तो फल उसी प्रकार मिलेंगे। ग्रहों का मार्गी उदय होना उत्तम फलदायी रहेगा। वहीं अशुभ ग्रहों की युति वक्री हो तो फल में न्यूनाधिक फल होगा। इस प्रकार हम जान सकते हैं कि वर कैसा होगा।

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