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स्थिर होता है सिंह लग्न !

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हमें फॉलो करें सिंह लग्न स्थिर लग्न
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पं. अशोक पँवार 'मयंक'

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सिंह लग्न स्थिर लग्न होता है। इसका स्वामी सूर्य है। सिंह लग्न में व्यापार की स्थिति दशम भाव व सप्तम भाव से जानी जाती है। दशम भाव उच्च व्यापार, उद्योग, नौकरी प्रशासनिक कार्य, पिता का सहयोग, शासकीय सहयोग, राजनीति से संबंध रखता है।

इस भाव का भावाधिपति शुक्र होगा, क्योंकि इस भाव में वृषभ राशि होगी। शुक्र की राशि एक और होगी, जो तुला है। इस लग्न में तुला राशि तृतीय भाव में होगी, जो पराक्रम, भाई, संचार माध्यम, स्वर, मित्र, साझेदारी को दर्शाती है।

अतः शुक्र इस भाव का भी प्रभाव लिए होगा। सप्तम भाव पत्नी, दैनिक व्यवसाय, साझेदार व मारक भाव होता है। शनि इस भाव का भावाधिपति होगा। शनि की दूसरी राशि षष्ट भाव में मकर राशि होगी। अतः इस लग्न वालों को शुक्र व शनि व्यापार में अधिक प्रभावी होंगे। वैसे इस भाव में भाग्येश मंगल का भी विशेष प्रभाव रहेगा, जो इस भाव में मेष राशि होगी, वहीं दूसरी राशि वृश्चिक चतुर्थ भाव में होगी। चतुर्थ भाव जनता, माता, भूमि, भवन से संबंध रखता है।

सिंह लग्न
सिंह लग्न स्थिर लग्न होता है। इसका स्वामी सूर्य है। सिंह लग्न में व्यापार की स्थिति दशम भाव व सप्तम भाव से जानी जाती है। दशम भाव उच्च व्यापार, उद्योग, नौकरी प्रशासनिक कार्य, पिता का सहयोग, शासकीय सहयोग, राजनीति से संबंध रखता है।
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दशम भाव का स्वामी शुक्र यदि दशम भाव में हो तो उस जातक को कला, सौंदर्य, प्रसाधन, फोटोग्राफी, संचार माध्यम, प्रसार विभाग, इत्र व सुगंधित व्यवसाय, आभूषण व्यवसाय व स्री प्रसाधनों के व्यापार से धन लाभ होता है। शुक्र जब-जब कुंभ राशि पर या सिंह राशि पर आएगा, तब भी व्यापार में उन्नति के अवसर आएँगे।

वृश्चिक का शुक्र भी व्यापार में उन्नतिदायक रहेगा। मंगल जब कभी मेष राशि पर या वृश्चिक राशि पर या सिंह राशि पर आएगा, तब भी व्यापार में लाभ देगा। बुध जब कभी कुंभ राशि पर या सिंह राशि पर आएगा तब भी व्यापार में उन्नति के अवसर आएँगे। वृश्चिक का शुक्र भी व्यापार में उन्नतिदायक रहेगा।

ऐसा जातक अपने बल पर देश-विदेश में उन्नति करने वाला व्यापार को फैलाने वाला होता है। दशमेश शुक्र यदि द्वादश भाव में हो तो उसे चाँदी के आभूषणों के व्यापार में सफलता मिलती है। ऐसा जातक अपने जन्म स्थान से दूर लाभ पाता है।
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मंगल जब कभी मेष राशि पर या वृश्चिक राशि पर या सिंह राशि पर आएगा, तब भी व्यापार में लाभ देगा। बुध जब कभी कुंभ राशि पर या सिंह राशि पर आएगा या गुरु की स्थिति मिथुन या तुला राशि पर होगी, तब स्री व दैनिक व्यापार में लाभ देगा। शनि जब कभी कुंभ राशि, वृषभ, मिथुन, सिंह या तुला राशि पर आएगा, तब दैनिक व्यापार में लाभ देगा। मंगल यदि चतुर्थ भाव में हो, तब जनता से संबंधित कार्य, मकान, भूमि संबंधित मामलों में लाभ दिलाता है।

बिल्डिंग मटैरियल सप्लाई करने के व्यवसाय में भी प्रगति दिलाता है। मंगल लग्न में हो तो उसे पेट्रोल पंप, गैस एजेंसी या सेना, पुलिस विभाग में सफलता दिलाता है। मंगल यदि पंचम भाव में हो तो ऐसा जातक निश्चित ही पुलिस विभाग में सफल हो सकता है। शुक्र यदि तृतीय भाव में हो तो उसे गायन पत्रकारिता, लेखन, संचार माध्यम से भी लाभ दिलाता है। यदि ऐसा जातक सेल्समैन हो, दलाली का व्यापार करे तो उत्तम सफलता पाता है।

शनि व शुक्र दशम भाव में हो तो उसे स्टील फर्नीचर, लोहे से, इंजीनियरिंग कार्य से, वाहनादि के व्यापार से लाभ दिलाता है। शुक्र यदि नवांश कुंडली में वर्गोत्तम यानी लग्न में जिस राशि का हो वही नवांशमें हो तो उत्तम लाभदायक स्थिति बनाता है। यदि शुक्र दशम भाव में भाग्येश मंगल के साथ हो तो उसे अपने पिता या भाग्य के बल पर धन का या व्यापार में लाभ मिलता है।

ऐसा जातक अपने बल पर देश-विदेश में उन्नति करने वाला व्यापार को फैलाने वाला होता है। दशमेश शुक्र यदि द्वादश भाव में हो तो उसे चाँदी के आभूषणों के व्यापार में सफलता मिलती है। ऐसा जातक अपने जन्म स्थान से दूर लाभ पाता है।

यदि शुक्र और सूर्य एक साथ कभी हो तो उन्हें शेयर बाजार से बचना चाहिए। इस प्रकार अपनी पत्रिका देख व्यापार कर लाभ पा सकते हैं।

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