सूर्य, चंद्रमा आदि ग्रहों की गति से उत्पन्न समय को काल कहते हैं। अर्थात् ऐसी शुभ घड़ी या मंगल मुहूर्त या समय जो लक्ष्य प्राप्त करने की क्षमताओं और संकेतों को दर्शाता है। जिसे मापने के लिए आज सेकंड, मिनट, घंटा, आदि का प्रयोग किया जाता है। इसी प्रकार भारतीय 'मुहूर्त ज्योतिष' में समय को मापने के लिए त्रुटि, कला, विकला, घटी, पल, तिथि, वार, नक्षत्र, अयन, मास, योग, लग्नादि का प्रयोग किया जाता है। प्रत्येक व्यक्ति व कार्य सहित यह सम्पूर्ण विश्व काल अर्थात् समय चक्र के अधीन है। जिसे हम अपने दैनिक जीवन में स्पष्ट रूप से देखते हैं।
जैसे- बच्चों का स्कूल समय से पहुँचना, अभिभावक का कार्यालय पहुँचना, समय से ट्रेन या एरोप्लेन का पकड़ना आदि कार्यों हेतु समय के अधीन हो कभी व्यक्ति दौड़ता है तो कभी चिंतित जो उठता है। अर्थात् अमुक कार्य का समय निकल गया, अब क्या होगा या अमुक कार्य का समय है इत्यादि। समय ही प्रत्येक व्यक्ति की गति-प्रगति का धारक होता है। समय के कारण ही व्यक्ति कभी आवास तो कभी प्रवास करता है। समय शुभ है या अशुभ यह मुहूर्त ज्योतिष द्वारा ज्ञात किया जाता है।
भारतीय संस्कृति में 16 संस्कारों का प्रावधान है। प्रत्येक संस्कार को करने के लिए शुभ मुहूर्त का चुनाव किया जाता है। यात्रा, व्यापार, शिक्षा, ग्रहप्रवेश, प्रथम वधू प्रवेश, अनुबंध, नामांकन, कोई वस्तु खरीदने, बेचने, दुकान खोलने, विवाह आदि संदर्भों में शुभ- अशुभ दोनों मुहूर्त पर विचार किया जाता है। विवाह गृहस्थ जीवन का आधार है। जहाँ से दुनिया चलती है। वैवाहिक जीवन को सुखी बनाने और परस्पर दो दिलों के मेल के लिए पति-पत्नी प्रकृति के मनोरम दृश्यों के बीच नवजीवन की मधुरता बढ़ाने हेतु हनीमून मनाने जाते हैं।
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हनीमून जीवन का जीवन का यादगार क्षण होता है। जो आजीवन मधुर और खूबसूरत एहसास दिलाता रहता है। पति-पत्नी की यह ऐसी मधुरिम यात्रा होती है जो विशिष्ट होती है। दुनिया-जहान की चिंताओं से दूर पर्वत श्रृंखलाओं व समुद्र के किनारे जहाँ प्रकृति भी अठखेलियाँ करती हो। जो अपने कोमल स्पर्श से रोमांच उत्पन्न कर रोमांस को बढ़ा देती हो। ऐसी यात्रा करने की तमन्ना और ऐसे स्थान की तलाश हर युवा दिल को रहती है।
इस संदर्भ में मुहूर्त विज्ञान बहुत ही कारगर है। कब और किस दिन, किस तारीख को यात्रा की जाए। कौन सा मुहूर्त अच्छा रहेगा? किस दिशा और दशा में हनीमून को और अधिक सफल बनाया जा सकता है। कई बार जल्दीबाजी में शादी हो जाती है और शुभ मुहूर्त का चुनाव छूट जाता है। इसलिए कई युवा हनीमून की शुरुआत शुभ मुहूर्त में करते हैं। किन्तु शुभ मुहूर्त और सही समय में हुई शादी के साथ-साथ हनीमून का मुहूर्त भी उतना ही महत्वपूर्ण है जैसे शादी का मुहूर्त।
हनीमून जीवन की पहली, सुखद व सकारात्मक शुरूआत है। जिसे खुशनुमा बनाने के लिए शुभ मुहूर्त का चुनाव अति आवश्यक है। आपको अपने जन्मांक, नामांक, वास्तु के अनुसार किन क्षेत्रों जैसे-पर्वतीय, समुद्र आदि की यात्रा करनी चाहिए। किस दिशा के कमरे में ठहरना चाहिए, सिराहना किस दिशा में करके सोना चाहिए आदि महत्वपूर्ण तथ्यों को जानना और शुभ मुहूर्त में यात्रा करना बहुत महत्वपूर्ण है।
विशेष : अब तक सैकड़ों जोड़े मनीषा कौशिक से हनीमून के लिए शुभ मुहूर्त निकलवा चुके हैं। मनीषाजी मुहूर्त, तिथि, समय, ज्योतिष, न्यूमरोलॉजी, टैरो, राहू काल, नेमोलॉजी सभी को ध्यान में रखते हुए हनीमून के मुहूर्त बताती हैं। उनसे सलाह लेकर हनीमून प्लान करने वाले चक्रधर भारद्वाज बताते हैं कि चूँकि यह मेरी लव मैरिज है इसलिए मैं इससे जुड़ी हर बात को खास बनाना चाहता था।
वहीं नवविवाहित वरूण और अनु का कहना है कि हम लोगों की शादी बड़ी जल्दबाजी में हुई थी लेकिन लाइफ आगे खूबसूरत हो इसके लिए हमने मनीषाजी से संपर्क किया और अभी हम खुश हैं।
मनीषा कौशिक ना सिर्फ मुहूर्त बताती हैं बल्कि देश व स्थान के बारे में भी विस्तृत जानकारी देती हैं। जैसे वे यह बताती है कि कौन सी दिशा में किस नाम से शुरू होने वाले देश में हनीमून मनाया जाना चाहिए। समुद्र स्थल ठीक रहेगा या पहाड़ी जगह, विदेश या फिर आसपास। हाल ही में एक जोड़े ने मनीषा जी की सलाह पर विदेश के हनीमून का प्लान निरस्त कर देश में ही हनीमून मनाने का फैसला लिया है।