20 अगस्त को बांधी जाएगी राखी : पं. देवेन्द्र
भाई-बहन के प्रेम और विश्वास के लिए मनाए जाने वाला विश्व का एकमात्र और अनूठा त्योहार रक्षाबंधन भारतीय संस्कृति की पहचान है जिसे हजारों सालों से मनाया जाता है इसलिए रक्षाबंधन को बनाने के पीछे कई पौराणिक कहानियां और मान्यताएं प्रचलित हैं।
रक्षाबंधन के पवित्र पर्व को मनाए जाने के निर्देश शास्त्रों में बताए गए हैं जिसका पालन करने से शुभता की प्राप्ति होती है। शास्त्र के अनुसार भद्रा रहित अपरान्ह व्यापिनी पूर्णिमा तिथि की करना चाहिए क्योकि मान्यता अनुसार भद्रा के समय श्रावणी (रक्षाबंधन )और फाल्गुनी (होली) नहीं मनाने का विधान है- '
भद्रायां द्वे न कर्तव्ये श्रावणी फाल्गुनी, श्रावणी नृपति हन्ति ग्रामं दहति फाल्गुनी।' यदि भद्रा में श्रावणी करें तो राजा को और होली करें तो ग्राम को हानि होना बताया गया है।
विशेष :
समस्त पंडितों और ज्योतिषियों का राय देने के पश्चात वेबदुनिया दिनांक 20 को रात्रि 8.49 के बाद और दिनांक 21 को शुभ और अमृत के चौघड़िया में राखी बांधने का शुभ मुहूर्त देती है। ज्योतिषियों के विचारों को मान्य करना पाठकों के स्वविवेक पर निर्भर करता है। 21 अगस्त को प्रात: 7.30 से 9 बजे तक अमृत का चौघड़िया है तथा 10.30 से 12 बजे तक शुभ का चौघड़िया है जिसमें राखी बांधना अति उत्तम है। सायंकाल में 7.30 से मंगल मुहूर्त शुभ चौघड़िया से आरंभ होंगे तथा रात्रि 9 बजे से 10 बजे तक अमृत योग हैं। इस समय राखी बांधी जा सकती है। दिनांक 20 को सारे दिन भद्रा दोष है अत: रात 8 बजकर 49 मिनट तक राखी संबंधी हर शुभ कार्य वर्जित हैं।
यह पर्व श्रावण माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस साल पूर्णिमा दो दिन 20 अगस्त और 21 अगस्त को है।