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2012: महाप्रलय बना जिज्ञासा का केंद्र

हो सकती है पृथ्वी पर हलचल

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क्या 2012 में धरती पर प्रलय आएगा? यह सवाल पूरी दुनिया के लोगों की जिज्ञासा का केंद्र बना हुआ है। हालाँकि ज्यादातर लोगों का मानना है कि पहले छोड़े गए शिगूफों की तरह इस बार भी 'प्रलय का डर' महज अफवाह बनकर रह जाएगा। इस बारे में अंकशास्त्रियों का कहना है कि घबराएँ नहीं। यह सिर्फ अफवाहों का दौर है। लोगों में एक भय और घबराहट है, लेकिन इससे डरने की जरूरत नहीं है।

21 दिसंबर 2012 की घटना सिर्फ एक खगोलीय घटना है। इस घटना में पृथ्वी के पास आने वाले अनजाने ग्रह से गुरुत्वाकर्षण बढ़ेगा जिसके फलस्वरूप समुद्र में तूफान आना, मौसम में परिवर्तन आदि होने की संभावना है। यह भी हो सकता है कि पृथ्वी इस ग्रह को पूर्णतः नष्ट कर दे। इससे पृथ्वी पर हलचल जरूर हो सकती है।

इस बारे में अंक ज्योतिषाचार्य संजय दुल्हानी कहते है कि माया सभ्यता कैलेंडर सिर्फ 2012 तक ही बनाया गया है इसी को आधार मानकर ज्योतिषी पृथ्वी के विनाश की भविष्यवाणी कर रहे हैं। वे कहते हैं कि 2012 बुध का अंक है। इसके अनुसार यदि इस वर्ष ऐसी कोई घटना घटित होती है तो उसके फलस्वरूप पृथ्वी में उथल-पुथल या कोई बड़ा युद्ध होने की संभावना है।

अंक ज्योतिषी गंभीर श्रीवास्तव के मुताबिक 21 दिसंबर 2012 तिथि सूर्य और चंद्र के प्रभाव में रहेगी। उन्होंने बताया कि सूर्य सृष्टि का पालनकर्ता है इसलिए इस तिथि में कुछ अशुभ होने का सवाल ही नहीं उठता। चंद्र कुंडली के अनुसार, इस दिन चंद्रमा मीन राशि में रहेगा, इसके साथ ही इस दिन सभी नवग्रह शुभ स्थितियों में रहेंगे। ऐसी स्थिति में कुछ अनिष्ट होने की संभावना नहीं है।

ज्ञात हो कि कथित भविष्यवाणी में कहा गया है कि 2012 में इस धरती से इंसानों का नामोनिशान मिट जाएगा। 21 दिसंबर 2012 को एक क्षुद्र ग्रह धरती से टकराएगा। नतीजतन भयानक भूकंप, ज्वालामुखी विस्फोट और सूनामी जैसी आपदाओं से भारी विनाश होगा।

करीब 250 से 900 ईसा पूर्व माया नाम की सभ्यता हुआ करती थी। ये लोग जिस कैलेंडर का इस्तेमाल करते थे, वह 21 दिसंबर 2012 को खत्म हो रहा है। माया सभ्यता के लोग मानते थे कि जब इस कैलेंडर की तारीखें खत्म होती हैं, तो धरती पर प्रलय आता है और नए युग की शुरुआत होती है। यह भी चर्चा है कि 14वीं सदी के फ्रांसीसी भविष्यवक्ता माइकल द नास्रेदेमस ने भी 2012 में धरती के खत्म होने की भविष्यवाणी की है।

इंटरनेट पर कुछ कथित वैज्ञानिकों (पता नहीं, वे हैं भी या नहीं)के हवाले से लिखा जा रहा है कि 'प्लेनेट एक्स निबिरू'नाम का एक ग्रह दिसंबर 2012 में धरती के काफी करीब से गुजरेगा। हो सकता है यह पृथ्वी से टकरा भी जाए। यह टक्कर वैसी ही होगी, जिससे पृथ्वी से डायनासोर का नामोनिशान मिट गया था। इसके अलावा आकाशगंगा (मिल्की-वे) के ठीक मध्य से सूर्य अलाइन करेगा। यह 26 हजार साल में पहली बार होगा। इससे बेतहाशा एनर्जी निकलेगी।

इसके पीछे कुछ वैज्ञानिक तर्क यह कहते हैं कि महाप्रलय की बातें लोगों द्वारा सिर्फ कल्पना मात्र है। इस संबंध में महाकौशल विज्ञान परिषद व इसरो के वैज्ञानिकों ने भी ऐसी किसी संभावना से इंकार किया है।

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