प्राचीन शास्त्रों के अनुसार नवरात्रि पूजन का आरंभ घटस्थापना या कलश स्थापना से माना जाता है। घटस्थापना को आश्विन शुक्ल प्रतिपदा के दिन सूर्योदय के पश्चात अथवा अभिजीत मुहूर्त में करना चाहिए। इस मुहूर्त को ज्योतिष शास्त्र में स्वयंसिद्ध मुहूर्त माना गया है।
सम्पूर्णप्रतिपद्येव चित्रायुक्तायदा भवेत।
वैधृत्यावापियुक्तास्यात्तदामध्यदिनेरावौ।
अभिजितमुहूर्त्त यत्तत्र स्थापनमिष्यते।
अर्थात अभिजीत मुहूर्त में ही कलश स्थापना करना चाहिए। भारतीय ज्योतिष शास्त्रियों के अनुसार नवरात्रि पूजन द्विस्वभाव लग्न में करना श्रेष्ठ होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मिथुन, कन्या, धनु तथा कुंभ राशि द्विस्वभाव राशि है अत: इसी लग्न में पूजा प्रारंभ करनी चाहिए।
इस वर्ष अभिजीत मुहूर्त (1 अक्टूबर 2016 को प्रात: 11.46 से दोपहर 12.34 तक) धनु लग्न में पड़ रहा है अत: धनु लग्न में ही पूजा तथा कलश स्थापना करना श्रेष्ठकर होगा।