शनिवार, 24 जून 2017 को अमावस्या है। अमावस्या के दिन भगवान शनि का दिन पड़ रहा है, इसी वजह से इसे शनिचरी अमावस्या कहा जाता है। अमावस्या के दिन अगर शनिवार आ जाए तो इसका काफी महत्व बढ़ जाता है। शनि पूजा के लिए विशेष समय रात्रि या गोधूलि अर्थात शाम का समय होता है।
शनि की अनुकूलता से व्यक्ति को चल रही साढ़े साती, ढैय्या और कुंडली में मौजूद कमजोर शनि का प्रभाव समाप्त होता है। कार्यों में आ रही बाधाएं खत्म होती हैं। व्यापारियों को तरक्की, नौकरीपेशा को पदोन्नति मिलती है।
दांपत्य जीवन में आ रही परेशानियां समाप्त होती हैं। जो लोग रोगों से ग्रस्त रहते हैं या जिन लोगों की बार-बार वाहन दुर्घटना हो रही हो, उन्हें शनि की शांति के लिए पूजा करनी चाहिए। इससे राहत मिलती है।
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शनिदेव को प्रसन्न करने के ये है अचूक उपाय
* जिन जातकों पर शनि की साढ़ेसाती अथवा शनि का ढैय्या चल रहा है, उन्हें शनि अमावस्या के दिन शनि की विशेष आराधना करनी चाहिए।
* इस दिन शनि के बीज मंत्र तथा शनि की वस्तुओं का दान करना चाहिए। विशेष कर दान में लोहा, उड़द की दाल, तेल, पुराने वस्त्रों का दान और तली हुई वस्तुओं का दान जैसे समोसा, कचौड़ी का दान निर्धनों को करना चाहिए।
* शनि के शांति के लिए शनि स्तवराज, शनि स्तोत्र और शनि अष्टक का पाठ करें।
* जिन जातकों को कड़ी मेहनत के बाद भी मनोवांछित फल नहीं मिल रहे हैं, उन्हें हर शनिवार को तेल की मालिश करनी चाहिए। इससे स्वास्थ्य लाभ भी होता है और रुके हुए काम भी बनते हैं।
* इस दिन हनुमान जी का बजरंग बाण, हनुमान चालीसा और संकट मोचन के नित्य पाठ से भी शनि प्रसन्न होते हैं।
प्राचीन कथाओं के अनुसार रावण ने शनि को अपने दरबार में उल्टा लटकाकर रखा था। लंका दहन के दौरान हनुमान जी ने ही शनि के बंधन तोड़े और उन्हें रावण की कैद से आजाद कराया था। तब शनिदेव ने वरदान दिया था कि वे हनुमान भक्तों को कभी कष्ट नहीं देंगे। उन्हें साढ़े साती के समय में भी कष्ट नहीं देंगे। अत: माना जाता है कि हनुमान भक्तों को शनि परेशान नहीं करते हैं। इसीलिए शनि अमावस्या के दिन हनुमान जी की आराधना का विशेष महत्व है।