हिंदू पंचांग और कैलेंडर के अनुसार एक पक्ष 15 दिन का होता है। 2 पक्ष का 1 माह होता है। इस बार 25 वर्षों के बाद आषाढ़ माह में ऐसा नहीं होने वाला है। दूसरी और तीसरी तिथियों के क्षय के चलते आषाढ़ माह का एक पक्ष 15 की बजाय 13 दिनों का रहने वाला है। ज्योतिष के अनुसार 13 दिन के पखवाड़े को दुर्योग काल कहा गया है। इस काल में देश दुनिया में अमंगलकारी घटनाएं हो सकती हैं।
अनेक युग सहस्त्रयां दैवयोत्प्रजायते। त्रयोदश दिने पक्ष स्तदा संहरते जगत।- वेद
अर्थ- देव योग से कई एक युगों में तेरह दिन का पक्ष आता है। इस संयोग में प्रजा को नुकसान, रोग, मंहगाई व प्राकृतिक प्रकोप, झगड़ों का सामना करना पड़ सकता है।
इस बार हिंदू नववर्ष का राजा मंगल, मंत्री शनि और बृहस्पति कृषि मंत्री है। इस नववर्ष में मंगल और शनि का अशुभ षडाष्टक और राहु का ग्रहण योग पूरे वर्ष उथल पुथल मचाएगा। इसके बीच सूर्य और चंद्र की गति के कारण 13 दिन के पखवाड़े का संयोग बन रहा है।
पूर्व के दुर्योग का परिणाम:
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ऐसे कहते हैं कि जब भी 13 दिन का पखवाड़ा आता है तब भूकंप समेत कई अप्रिय घटनाएं होती हैं।
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ऐसा ही एक संयोग में 1937 में जब बना था तब भूकंप आया था।
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इसके बाद 1962 में भी यह दुर्योग बना था तब भारत-चीन का युद्ध हुआ था।
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1999 में कारगिल युद्ध हुआ था तभी यह दुर्योग था।
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1999 के बाद अब 2024 में यह दुर्योग बना है तो अप्रिय घटना का संकेत देता है।
वर्ष का परिणाम : इस वर्ष का राजा मंगल, गृहमंत्री शनि और कृषि मंत्री शनि है। मंगल और शनि का अशुभ षडाष्टक और राहु का ग्रहण योग पूरे वर्ष उथल पुथल मचाएगा। इससे शासन प्रशासन में कड़ा अनुशासन देखने को मिलेगा। वर्षा पर्याप्त मात्रा में होगी। भारत की अर्थव्यवस्था में बढ़ोतरी होगी, परंतु कई दूसरे देशों की अर्थव्यवस्था में ऊथल-पुथल होगी। महंगाई काबू में रहेगी। नवसंवत्सर का प्रवेश धनु लग्न में होगा। सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि, सिद्धि योग, वैधती योग के साथ ही रेवती नक्षत्र रहेगा। धनु लग्न होने से उत्तर पूर्व दिशा में सुख समृद्धि रहेगी, मध्यक्षेत्र में वर्षा की अधिकता रहेगी। पश्चिम में खाद्य वस्तुएं सस्ती होगी। वरुण नाम का मेघ बारिश कराएगा।
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