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4 खतरनाक योग चल रहे हैं, इसलिए बचकर रहें ये 5 तरह के लोग

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WD Feature Desk

, शुक्रवार, 13 जून 2025 (13:07 IST)
khappar yog 2025: 29 मार्च 2025 शनिवार के दिन शनि ग्रह ने बृहस्पति की राशि मीन में प्रवेश किया था, जहां पर राहु पहले से ही विराजमान है। शनि और राहु की युति से पिशाच योग का निर्माण होते ही देश और दुनिया में प्राकृतिक आपदा और भूकंप के साथ ही भारतीय कश्मीर के पहलगाम पर पर्यटकों पर आतंकवादी हमले ने भारत को भड़का दिया। यह योग 18 मई तक तक रहा। इसके बाद मंगल और राहु का षडाष्टक योग रहा और इसी बीच खप्पर योग ने पाकिस्तान भारतीय सेना ने धूल चटा दी। यदि हम दुनिया की बात करें तो कई देशों में तख्तापलट, विद्रोह आंदोलन, सत्ता परिवर्तन, यूक्रेन और रूस के युद्ध में नया मोड़ इस योग में ही जन्मा। इसके बाद शनि और मंगल का षडाष्टक योग बना जिसके चलते एयर इंडिया का विमान क्रैश होने के साथ ही इजराइल का ईरान पर बड़ा हमला। इस बीच 14 मई से ही गुरु की अतिचारी चाल चल ही रही है। अभी भी 4 बेहद ही खतरनाक योग बने हु हैं, अतिचारी गुरु, खप्पर योग, षडाष्टक योग, कुंजकेतु योग। इसलिए बचकर रहें ये लोग।
 
1. अतिचारी गुरु: बृहस्पति ने मिथुन राशि में प्रवेश करते ही तेज गति से चलना प्रारंभ कर दिया है जिसे अतिचारी गति कहते हैं। गुरु का अतिचारी होना धरती के जलवायु पर बुरा प्रभाव तो डालता ही साथ ही यह लोगों की मानसिकता भी बदल देता है और दुनिया में विस्फोटक स्थिति को जन्म देता है। जीवन देने वाला गुरु मौत देने वाला बन जाता है। गुरु 8 वर्षों तक अतिचारी चाल चलेंगे। ऐसा महाभारत काल में हुआ था। 
 
14 मई 2025 बुधवार को रात्रि 11 बजकर 20 मिनट पर बृहस्पति ग्रह वृषभ से निकलकर मिथुन राशि में प्रवेश किया। मिथुन राशि में बृहस्पति 18 अक्टूबर 2025 तक रहेंगे और इसके बाद तेज गति से कर्क राशि में चले जाएंगे। कर्क में बृहस्पति नीच के हो जाते हैं। नीच के होकर बुरा फल देंगे। ऐसी आशंका है कि तब भारत और पाकिस्तान के बीच फिर से उकसावे की कार्रवाई के बाद तनाव उत्पन्न हो सकता है। 11 नवंबर 2025 को गुरु ग्रह वक्री हो जाएंगे और 5 दिसंबर 2025 को पुनः मिथुन राशि में वापस लौट आएंगे। इसके बाद, गुरु 2 जून 2026 तक मिथुन राशि में रहने वाले हैं। इस तरह मार्गी और वक्री का उनका गोचर चलता रहेगा। 2 जून 2026 मंगलवार को मध्यरात्रि 02:25 पर जब बृहस्पति कर्क राशि में गोचर करेंगे तो फिर से भारत पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर होगा। 
 
2. खप्पर योग: इसके बाद 11 जुलाई से लेकर 7 अक्टूबर तक खप्पर योग बना रहेगा। 15 मार्च से 11 जून तक खप्पर योग बन रहा है। इसके बाद 11 जुलाई से लेकर 7 अक्टूबर तक खप्पर योग बना रहेगा। इसको लेकर कुछ ज्योतिषियों का विश्लेषण किया था कि 14 मई से लेकर 14 जून के बीच का समय भारत के लिए खराब है। हालांकि कुछ अन्य ज्योतिषियों के अनुसार जून से लेकर अक्टूबर का समय विचित्र हो सकता है, जिसमें होने वाली घटनाओं से दुनिया को हैरानी हो सकती है। इसमें प्राकृतिक आपदाओं, महामारी, युद्ध और दंगों के कारण देश को बड़ी आर्थिक और जनहानि का सामना करना पड़ सकता है। इस खप्पर योग ने देश ही नहीं दुनिया में भी तबाही मचा रखी है। 
 
3. षडाष्टक योग: 18 मई से 7 जून तक मंगल और राहु का षडाष्टक योग था। इसके बाद 7 जून से 28 जुलाई तक के लिए शनि और मंगल का षडाष्टक योग बना है। शनि मंगल का षठाष्टक योग के कारण मंगल की आठवीं दृष्‍टि शनि पर रहेगी। इसके चलते शनि की विध्वंसक शक्ति बढ़ जाएगी। इस योग के कारण शनि का नकारात्मक प्रभाव देखने को मिलेगा। इसके चलते प्राकृतिक दुर्घटना, भूस्खलन, आगजनी, हादसा, विस्फोट, ज्वालामुखी फटना और युद्ध होना तय माना जा सकता है। 
 
4. केतु कुंज योग: केतु मंगल का कुंजकेतु योग 'कुजोवत् केतु' अर्थात केतु का स्वभाव मंगल जैसा होता है। दोनों ही उग्र, आक्रामक और प्रतिशोधी ग्रह हैं। यह आग और विस्फोट को जन्म देगा। सूर्य की सिंह राशि को शासक माना गया है। सूर्य को सभी ग्रहों का राजा बताया गया है, जो नेतृत्व, सत्ता और राजधर्म से जुड़ा है। 'राज्येषु सिंहः, बलिनां च बलं हरिः.' यानि मंगल-केतु की युति सत्ता के लिए विस्फोटक है। साथ ही वैश्विक राजनीतिक व्यवस्था प्रभावित हो सकती है।
 
इस दौरान देश दुनिया में घटना, दुर्घटना, खून खराब, आंदोलन और विद्रोह के साथ ही सत्ता परिवर्तन की ओर भी संकेत करता है। मंगल साहस, युद्ध और क्रोध पर प्रभाव डालने वाला है और केतु का काम होता है हर कार्य में रुकावट डालना और दुर्घटनाओं को जन्म देना। इसी के साथ केतु रहस्यमयी विद्याओं की ओर भी संकेत करता है। केतु और मंगल की युति को अच्छा नहीं माना जाता है। यह लोगों में जोश के साथ असंतोष को भी जन्म देता है। यह भ्रम पैदा करके रिश्तों में अलगाव को बढ़ाता है जिसके चलते मानसिक तनाव भी बढ़ाता। 
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इन लोगों को संभलकर रहना होगा:
1. यात्री: यदि आप इस वर्ष कहीं पर भी घूमने जाने का प्लान बना रहे हैं तो सतर्कता और सावधानी से काम लें। सुरक्षित जगहों और सुरक्षित साधनों से ही जाएं। भले ही आप तीर्थ क्षेत्र में जा रहे हों या किसी पर्यटन की जगह। कई लोग अपने घर या किसी रिश्तेदार के यहां जा रहे होते हैं या ऑफिस या व्यापारी हैं तो कारोबार के सिलसिले में जा रहे होते हैं तो सावधानी जरूर रखें। 
 
2. रोगी: यदि आपको किसी भी प्रकार का रोग है, जैसे डायबिटीज, हृदय रोग, दमा या अन्य कोई रोग तो खानपान में विशेष सावधानी बरतने के साथ ही, शुद्ध जल और वायु पर ध्यान देना होगा। जिन लोगों का इम्यून सिस्टम कमजोर है उन्हें भी विशेष ध्यान देने की जरूरत है।
 
3. राशियां: मिथुन, कर्क, मीन, सिंह, कन्या, कुंभ और वृश्चिक राशियों को अतिरिक्त सावधानी की जरूरत है, क्योंकि इन्हीं राशियों पर शनि, राहु, केतु और गुरु का नकारात्मक प्रभाव चल रहा है।
 
4. खतरे वाले क्षेत्र: ऐसे लोग जो खतरे वाले क्षेत्र में रहते हैं- जैसे सीमावर्ती क्षेत्र, ज्वालामुखी वाले क्षेत्र, समुद्र तट, भूकंप वाले क्षेत्र और मिश्रित धर्म या जाति वाले क्षेत्र आदि जगहों पर रहने वाले लोगों को अतिरिक्त सावधानी रखना होगी।
 
5. राजनीतिज्ञ और वैज्ञानिक: जो लोग राजनीति में सक्रिय है और जिन्हें पूरा देश जानता है और ऐसे वैज्ञानिक जो देश की रक्षा के किसी महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट पर लगे हैं या जो अंतरिक्ष विभाग में हैं। उन सभी को अपनी सुरक्षा का विशेष ध्यान रखना होगा।

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