कुंकुम, चंदन आदि की तरह ही अष्टगंध की बहुत उपयोगी होता है। यह पूजा, तिलक और अन्य कई कार्यों में इसका उपयोग किया जाता है। आओ जानते हैं इसके 5 चमत्कारिक फायदे।
1. अष्टगंध को 8 तरह की जड़ी या सुगंध से मिलाकर बनाया जाता है। अष्टगन्ध में आठ पदार्थ होते हैं- कुंकुम, अगर, कस्तुरी, चन्द्रभाग, त्रिपुरा, गोरोचन, तमाल, जल आदि। यही आठ पदार्थ सभी ग्रहों को शांत कर देते हैं। इसके इस्तेमाल से ग्रहों के दुष्प्रभाव दूर हो जाते हैं।
2. इसका घर में इस्तेमाल होते रहने से चमत्कारिक रूप से मानसिक शांति मिलती है। मन से तनाव हट जाता है।
3. अष्टगंध की सुगंध में श्री लक्ष्मी जी को रिझाने का विलक्षण गुण होता है।
4. अष्टगंध के प्रयोग घर का वास्तुदोष भी दूर हो जाता है।
5. तिलक के रूप में अष्टगंध का उपयोग करने से वशीकरण होता है और ग्रह दोष शांत हो जाते हैं। अष्टगंध का तिलक कनिष्ठा अंगुली से लगाएं।
अन्य जानकारी :
कर्मकांड एवं यन्त्र लेखन में अष्टगंध का प्रयोग होता है।
अष्टगंध 2 प्रकार का होता है- पहला वैष्णव और दूसरा शैव। यह प्रकार इसके मिश्रण के अनुसार है।
शैव अष्टगंध :
कुंकुमागुरुकस्तूरी चंद्रभागै: समीकृतै।
त्रिपुरप्रीतिदो गंधस्तथा चाण्डाश्व शम्भुना।।- कालिका पुराण
कुंकु, अगुरु, कस्तूरी, चंद्रभाग, गोरोचन, तमाल और जल को समान रूप में मिलाकर बनाया जाता है।
वैष्णव अष्टगंध :
चंदनागुरुह्रीबेकरकुष्ठकुंकुसेव्यका:।
जटामांसीमुरमिति विषणोर्गन्धाष्टकं बिन्दु।।- कालिका पुराण
चंदन, अगुरु, ह्रीवेर, कुष्ट, कुंकुम, सेव्यका, जटामांसी और मुर को मिलाकर बनाया जाता है।