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बलूचिस्तान के बारे में 5 खास बातें, भविष्यवाणी- पाकिस्तान से होगा अलग?

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WD Feature Desk

, गुरुवार, 8 मई 2025 (17:24 IST)
4 अगस्त 1947 को लार्ड माउंटबेटन, मिस्टर जिन्ना, जो बलूचों के वकील थे, सभी ने एक कमीशन बैठाकर तस्लीम किया और 11 अगस्त को बलूचिस्तान की आजादी की घोषणा कर दी गई। वादे के मुताबिक उसे एक अलग राष्ट्र बनना था 1 अप्रैल 1948 को पाकिस्तानी सेना ने कलात पर अभियान चलाकर कलात के ख़ान को आत्मसमर्पण के लिए मजबूर कर दिया। बाद में 27 मार्च 1948 को पाकिस्तान ने संपूर्ण बलूचिस्तान को अपने कब्जे में ले लिया। तभी से अब तक बलूच अपनी आजादी के लिए पाकिस्तानी सेना से लड़ रहे हैं। पाकिस्तानी सेना ने अब तक 2 लाख से ज्यादा बलूचों को मार दिया है। करीब 347,190 वर्ग किलोमीटर में फैला बलूचिस्तान भारत से सैन्य हस्तक्षेप की मांग कर रहा है। 2016 में भारत के सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने एक बयान में कहा था कि अगर अब पाकिस्तान निर्दोष लोगों पर गोली चलाता है तो उसे बलूचिस्तान खोना पड़ सकता है। बलूचिस्तान की 5 खास बातें और भविष्‍यवाणी।ALSO READ: पाकिस्तान से क्यों अलग होना चाहते हैं बलूचिस्तान, पख्तून, पीओके, सिंध और वजीरिस्तान?
 
1. बलूचिस्तान के दक्षिण-पूर्वी हिस्से पर ईरान, दक्षिण-पश्चिमी हिस्से पर अफगानिस्तान और पश्चिमी भाग पर पाकिस्तान ने कब्जा कर रखा है। सबसे बड़ा हिस्सा पाकिस्तान के कब्जे में है। प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर बलूचिस्तान के संपूर्ण क्षेत्र में यूरेनियम, गैस और तेल के भंडार पाए गए हैं। इसलिए चीन की इस क्षेत्र पर नजर है। 
2. बलूचिस्तान में भी स्वतंत्रता की मांग तेज हो रही है। बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) और अन्य विद्रोही समूहों ने 2024 में हमलों की संख्या बढ़ा दी है, जिसमें चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) से जुड़े प्रोजेक्ट्स को निशाना बनाया गया। बलूचिस्तान के साथ पाकिस्तान ने कैसा-कैसा अन्याय किया है उसकी लंबी सूची है। पाकिस्तानी सेना के पूर्व सेनापति टिक्का खां ने बलूचों की सामूहिक हत्याएं की थीं इसलिए आज भी वहां की जनता उन्हें 'बलूचों के कसाई' के नाम से याद करती है। बलूचों का अपहरण पाकिस्तान में एक सामान्य बात है।
 
3. पाकिस्तान द्वारा जबरन कब्जाए गए बलूचिस्तान में हिंगोल नदी के समीप हिंगलाज क्षेत्र में सुरम्य पहाड़ियों की तलहटी में स्थित है माता हिंगलाज का मंदिर है, जो 51 शक्तिपीठों में से एक है। यहां पर माता को नानी कहा जाता है। यहां की यात्रा को 'नानी का हज' भी कहा जाता है। पाकिस्तान और भारत से यहां पर हजारों हिंदू प्रतिवर्ष दर्शन करने के लिए जाते हैं। हिंगलाज ही वह जगह है, जहां माता का सिर गिरा था। यहां माता सती कोटटरी रूप में जबकि भगवान शंकर भीमलोचन भैरव रूप में प्रतिष्ठित हैं। बृहन्नील तंत्र अनुसार यहां सती का 'ब्रह्मरंध्र' गिरा था। देवी के शक्तिपीठों में कामाख्या, कांची, त्रिपुरा, हिंगलाज प्रमुख शक्तिपीठ हैं। हिंगुला का अर्थ सिन्दूर है। हिंगलाज क्षत्रिय समाज की कुलदेवी हैं।ALSO READ: बलूचिस्तान पर पाकिस्तानी कब्जे की संपूर्ण कहानी
 
4. बलूचिस्तान आर्यों की प्राचीन धरती आर्यावर्त का एक हिस्सा है। भारत पिछले 15,000 वर्षों से अस्तित्व में है। अफगानिस्तान, बलूचिस्तान, पाकिस्तान और हिंदुस्तान सभी भारत के हिस्से थे। भारत का प्राचीन इतिहास कहता है कि अफगानी, बलूच, पख्तून, पंजाबी, कश्मीरी आदि पश्चिम भारत के लोग पुरु वंश से संबंध रखते हैं अर्थात वे सभी पौरव हैं। बलूचिस्तान भारत के 16 महाजनपदों में से एक जनपद संभवत: गांधार जनपद और सिंधु देश का हिस्सा था।
 
5. बलूचिस्तान में एक स्थान है बालाकोट। बालाकोट नालाकोट से लगभग 90 किमी की दूरी पर बलूचिस्तान के दक्षिणी तटवर्ती क्षेत्र में स्थित था। यहां से हड़प्पा पूर्व एवं हड़प्पा कालीन अवशेष प्राप्त हुए हैं। पुरातात्विक दृष्टि से महत्वपूर्ण मेहरगढ़ का स्थान बलूचिस्तान के कच्ची मैदानी के क्षेत्र में है। मेहरगढ़ की संस्कृति और सभ्यता को 7 हजार ईसापूर्व से 2500 ईसापूर्व के बीच फली फूली सभ्यता माना जाता है। यहां से इस काल के अवशेष पाए गए हैं। मेहरगढ़ आज के बलूचिस्तान में बोलन नदी के किनारे स्थित है। कंकड़-पत्थरों को जोड़कर बलूचिस्तान में जो बांध बने उन्हें गबरबंध कहा जाता है और यह हड़प्पा युग से पहले बनने लगे थे। इनका निर्माण बाढ़ रोकने, बाढ़ में आई उपजाऊ मिट्टी को थामने के लिए होता था। गबरबंध के काल का पता लगाना कठिन है। वहां पाए गए बर्तनों के आधार पर उन्हें हड़प्पा-पूर्व काल का बताया जाता है। इतिहासकार पाषाण काल में यहां इंसानी बस्तियां होने की संभावना जताते हैं। ईसा के जन्म से पहले यह इलाका ईरान और टिगरिस व यूफ्रेट्स के रास्ते बेबीलोन की प्राचीन सभ्यता से व्यापार और वाणिज्य के जरिए जुड़ चुका था। बलूचिस्तान के सिबिया आदिवासियों से ईसा पूर्व 326 में विश्व विजयी अभियान पर निकले सिकंदर से भिड़ंत हुई थी। यहीं से सिल्क रूट गुजरता है।
 
बलूचिस्तान के बारे में भविष्यवाणी:
अपने एक अलग देश की मांग के साथ बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) लगातार पाकिस्तान में अपने मंसूबों को अंजाम देते रहती है। डॉक्टर मारन बलोच, जिन्हें महरंग बलोच के नाम से भी जाना जाता है, एक बलूच मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं जो पाकिस्तान के बलूचिस्तान में मानवाधिकारों के हनन के खिलाफ आवाज उठाती हैं. वह बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सेना द्वारा जबरन गायब होने, गैर-न्यायिक हत्या और अन्य मानवाधिकार उल्लंघनों के खिलाफ वकालत करती हैं। भविष्यवाणी के अनुसार बलूचिस्तान के साथ न्याय होगा। वह बहुत जल्द पाकिस्तान से अलग होने वाला है। 
 
भविष्य मालिका: भविष्य मालिका सहित कई भविष्यवाणियों के अनुसार पाकिस्तान के पहले टुकड़े होंगे और फिर उसका नामोनिशान ही मिट जाएगा। पाकिस्तान के साथ मिलकर लड़ने वाली शक्ति कमजोर और दयनीय हो जाएगी। ऐसा तब होगा जब जगन्नाथ पुरी मंदिर में पुजारी की सेवा के रूप में गगन गद्दी पर विराजमान होंगे और उस वक्त उड़ीसा के दिव्य सिंह राजा गादी पर होंगे तब भारत पर आक्रमण होगा।
 
महर्षि अरविंद और मीरा अलफासा: भारत के महान अध्यात्मिक गुरु महर्षि अरविंद और उनकी शिष्या अलफासा ने 60 साल पहले ही भविष्यवाणी कर दी थी कि पाकिस्तान के टुकड़े टुकड़े हो जाएंगे और एक दिन पाकिस्तान नाम का कोई देश नहीं रहेगा।
 

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