डॉ. कुमुद दुबे
हम सभी सुंदर जीवन की कामना करते हैं। और यह मुश्किल नहीं है। अगर हम शास्त्रों में वर्णित इन जरूरी बातों पर अमल करें तो बहुत ही पवित्र और शांतिप्रिय जीवन जी सकते हैं।
1 . पवित्र गंगाजल का कलश, तुलसी-रुद्राक्षी, मणिमाला, शालिग्राम- ये सब साधारण लोगों के मन की एकाग्रता बढ़ाने के लिए सहायक होते हैं। इनके सामने बैठकर ध्यान, जप, भजन करें तो आत्मिक शांति मिलती है। भागवत गीता, रामायण व अन्य धार्मिक ग्रंथों का पठन-श्रवण भी करें।
2 . प्रात: स्नान के बाद थोड़ा समय इनके लिए अवश्य रखें। छोटे-बड़े सदस्य भगवान की पूजा सामूहिक रूप से करें।
3. परिवार के सदस्य दिन में एक बार सामूहिक भोजन करें। सप्ताह में एक बार परिवार के सदस्य की समस्या तथा विभिन्न विषयों पर चर्चा हेतु एकसाथ बैठें। इससे परस्पर प्रेम और विश्वास की वृद्धि होगी।
5. हर दिन के देवता को जानें और उसी के अनुसार पूजन करें....
सोमवार- शिवजी की आराधना, शिव मंत्र का जाप।
मंगलवार- हनुमानजी की पूजा-अर्चना, श्रीराम मंत्र का जाप।
बुधवार- गणेशजी की पूजा, गुड़ का भोग, दूर्वा चढ़ाएं।
गुरुवार- विष्णु भगवान की पूजा, केले की पूजा, श्रीहरि जाप।
शुक्रवार- देवी पूजा, दुर्गा कवच, वैष्णोदेवी, विंध्यवासिनी का जाप।
शनिवार- रामरक्षा स्तोत्र का जाप, हनुमानजी की परिक्रमा।
6. अपने स्वतंत्र व्यक्तित्व का विकास एवं जनकल्याण की भावना से जो भी देवता में श्रद्धा हो, उनकी विशेष अर्चना करें।
7. भारतीयों का आदर्श है शिव परिवार। शिव, पार्वती, गणेश, कार्तिकेय। सभी एक से एक कर्तव्यवान एवं सबका कल्याण करने वाले। सभी प्रतिकूल होते हुए भी एकसाथ सबके कल्याण के लिए सदैव तत्पर रहते हैं।
8. एक पुत्र षडानन तो एक गजानन। शिव वाहन वृषभ, शिवानी वाहन सिंह, गजानन का वाहन मूषक तो षडानन का मयूर। सबका परस्पर जातिगत बैर। शेर वृषभ को खाने वाला तो चूहे को खाने वाला सर्प भी है। उधर मयूर की दृष्टि सर्प पर है, परंतु शिव परिवार में सब स्वाभाविक बैर को छोड़कर विश्व कल्याण में लगे रहते हैं। स्वयं विषपान कर जगत को अमृत देने वाले देवादिदेव महादेव के परिवार में विष अपना प्रभाव कैसे दिखा सकता है?