वैसे आपने कड़ी पत्ता, पत्तागोभी, तेजपत्ता, पुदीना, पालक, बेल पत्ता, हरे प्याज के पत्ते आदि का उपयोग तो किया ही होगा। पत्तों का उपयोग खाने, पूजा करने और घाव आदि पर लगाने में किया जाता है। हालांकि कुछ पत्ते ऐसे हैं जिन्हें शुभ और पवित्र मानकर उनका पूजा में उपयोग किया जाता है। ऐसे ही कुछ पत्ते की जानकारी यहां प्रस्तुत है।
1.तुलसी पत्ता : भगवान विष्णु को सबसे प्रिय है तुलसी का पत्ता। भगवान को जब भोग लगाते हैं या उन्हें जल अर्पित करते हैं तो उसमें तुलसी का एक पत्ता रखना जरूरी होता है। तुलसी का पत्ता खाते रहने से किसी भी प्रकार का रोग और शोक नहीं होता। तुलसी के पत्ते को शाम को नहीं तोड़ते और किसी रजस्वला स्त्री की उस पर छांव भी नहीं पड़ना चाहिए। दूषित पानी में तुलसी की कुछ ताजी पत्तियां डालने से पानी का शुद्धिकरण किया जा सकता है। तांबे के लोटे में एक तुलसी का पत्ता डालकर ही रखना चाहिए। तांबा और तुलसी दोनों ही पानी को शुद्ध करने की क्षमता रखते हैं।
2.बिल्वपत्र : हिन्दू धर्म में बिल्व अथवा बेल (बिल्ला) पत्र भगवान शिव की आराधना का मुख्य अंग है। कहते हैं शिव को बिल्वपत्र चढ़ाने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी, अमावस्या और किसी माह की संक्राति को बिल्वपत्र नहीं तोडऩा चाहिए। बिल्वपत्र का सेवन, त्रिदोष यानी वात (वायु), पित्त (ताप), कफ (शीत) व पाचन क्रिया के दोषों से पैदा बीमारियों से रक्षा करता है। यह त्वचा रोग और डायबिटीज के बुरे प्रभाव बढ़ने से भी रोकता है व तन के साथ मन को भी चुस्त-दुरुस्त रखता है।
3.पान का पत्ता : पान को संस्कृत में तांबूल कहते हैं। इसका उपयोग पूजा में किया जाता है। दक्षिण भारत में तो पान के पत्ते के बीच पान का बीज एवं साथ ही एक रुपए का सिक्का रखकर भगवान को चढ़ाया जाता है, जबकि उत्तर भारत में पूजा की सुपारी के साथ एक रुपए का सिक्का चढ़ाया जाता है। कलश स्थापना में आम और पान के पत्तों का उपयोग होता है। प्राचीनकाल में पान का इस्तेमाल रक्तस्राव को रोकने के लिए किया जाता था। इसे खाने से भीतर कहीं बह रहा खून भी रुक जाता है। दूध के साथ पान का रस लिया जाए, तो पेशाब की रुकावट दूर हो जाती है।
4.केल के पत्ते : केल का पत्ता हर धार्मिक कार्य में इस्तेमाल किया जाता रहा है। केल का पेड़ काफी पवित्र माना जाता है। भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को केले का भोग लगाया जाता है। केल के पत्तों में प्रसाद बांटा जाता है। माना जाता है कि समृद्धि के लिए केले के पेड़ की पूजा अच्छी होती है। केल रोचक, मधुर, शक्तिशाली, वीर्य व मांस बढ़ाने वाला, नेत्रदोष में हितकारी है।
5.आम के पत्ते : अक्सर मांगलिक कार्यों में आम के पत्तों का इस्तेमाल मंडप, कलश आदि सजाने के कार्यों में किया जाता है। इसके पत्तों से द्वार, दीवार, यज्ञ आदि स्थानों को भी सजाया जाता है। तोरण, बांस के खंभे आदि में भी आम की पत्तियां लगाने की परंपरा है। घर के मुख्य द्वार पर आम की पत्तियां लटकाने से घर में प्रवेश करने वाले हर व्यक्ति के प्रवेश करने के साथ ही सकारात्मक ऊर्जा घर में आती है।
आम के पेड़ की लकड़ियों का उपयोग समिधा के रूप में वैदिक काल से ही किया जा रहा है। माना जाता है कि आम की लकड़ी, घी, हवन सामग्री आदि के हवन में प्रयोग से वातावरण में सकारात्मकता बढ़ती है। वैज्ञानिक दृष्टि के अनुसार आम के पत्तों में डायबिटीज को दूर करने की क्षमता है। कैंसर और पाचन से संबंधित रोग में भी आम का पत्ता गुणकारी होता है।
6. सोम की पत्तियां : सोम की पत्तियां प्राचीन काल में सभी देवी और देवताओं की अर्पित की जाती थी। वर्तमान में यह दुर्लभ है इसलिए इसका प्रचलन नहीं रहा। सोम की लताओं से निकले रस को सोमरस कहा जाता है। उल्लेखनीय है कि यह न तो भांग है और न ही किसी प्रकार की नशे की पत्तियां। सोम लताएं पर्वत श्रृंखलाओं में पाई जाती हैं।
7.शमी के पत्ते : दशहरे पर खास तौर से सोना-चांदी के रूप में बांटी जाने वाली शमी की पत्तियां, जिन्हें सफेद कीकर, खेजडी, समडी, शाई, बाबली, बली, चेत्त आदि भी कहा जाता है, हिन्दू धर्म की परंपरा में शामिल है। आयुर्वेद में भी शमी के वृक्ष का काफी महत्व बताया गया है। मान्यता अनुसार बुधवार के दिन गणेश जी को शमी के पत्ते अर्पित करने से तीक्ष्ण बुद्धि होती है। इसके साथ ही कलह का नाश होता है।
8.पीपल के पत्ते : पीपल के पत्तों का भी हिंदू धर्म में खास महत्व है। जय श्रीराम लिखकर पीपल के पत्तों की माला हनुमानजी को पहनाने से वे प्रसन्न हो जाते हैं। पीपल के पत्ते के और भी कई उपयोग हैं।
9.बड़ के पत्ते : मान्यता अनुसार आटे का दीपक बनाकर बड़ के पत्तों पर रखकर उसे हनुमानजी मंदिर में रखा जाता है जिससे कर्ज से मुक्ति मिलती है। बड़ के पत्ते का भी पूजा में और भी कई उपयोग है।