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13 वर्षों बाद बनेगा रामनवमी पर दुर्लभ 'रविपुष्य योग'

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पं. हेमन्त रिछारिया

, गुरुवार, 27 मार्च 2025 (15:45 IST)
Ram Navami Date 2025: हमारे सनातन धर्म में कुछ पर्व व त्योहार बड़े महत्वपूर्ण होते हैं जैसे महाशिवरात्रि, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, श्रीराम नवमी, दुर्गाष्टमी आदि। यदि इन महत्वपूर्ण पर्वों पर कोई अतिरिक्त शुभयोग बने तो यह अत्यंत दुर्लभ संयोग होकर अति-महत्वपूर्ण एवं शुभ हो जाता है। ऐसा ही एक दुर्लभ संयोग 13 वर्षों पश्चात् इस वर्ष श्रीराम नवमी पर बनने जा रहा है। इस वर्ष श्रीराम नवमी चैत्र शुक्ल नवमी, दिनांक 06 अप्रैल 2025 को है।ALSO READ: Ram Navami 2025: रामनवमी कब है, क्या है प्रभु श्रीराम की पूजा का शुभ मुहूर्त और योग?
 
यह तो आप पाठकों को सर्वविदित है कि श्रीराम नवमी के शुभ दिन ही प्रभु श्रीराम का प्राकट्य इस धराधाम पर हुआ था। प्रभु श्रीराम का जन्म नक्षत्रों के राजा कहे जाने वाले पुष्य नक्षत्र में हुआ था।

ज्योतिष शास्त्र में पुष्य नक्षत्र को अत्यंत शुभ माना गया है। पुष्य नक्षत्र में जन्म लेने वाला जातक पराक्रमी, विद्वान एवं अतीव धर्मावलम्बी होता है। जब यही पुष्य नक्षत्र गुरुवार और रविवार के दिन होता है तब यह परम-पवित्र शुभ संयोग क्रमश: गुरु-पुष्य और रवि-पुष्य का सृजन करता है। 
 
ज्योतिष शास्त्र और तंत्र शास्त्र में यह 'गुरुपुष्य व रविपुष्य' दोनों दुर्लभ संयोग बड़े ही महत्वपूर्ण माने गए है। इस वर्ष 13 वर्षों पश्चात् रामनवमी पर प्रभु श्रीराम के प्राकट्य समय अपरान्ह 12:00 बजे 'रविपुष्य' नक्षत्र का शुभ संयोग रहेगा। रविपुष्य नक्षत्र का शुभ व परमपवित्र संयोग रामनवमी की शुभता में अनंत गुना वृद्धि करेगा। 
 
रामनवमी के दिन रविपुष्य प्रात: 05 बजकर 33 मिनट से प्रारंभ अहोरात्र रहेगा। यह बड़ा ही दुर्लभ संयोग है। इससे पूर्व यह शुभ संयोग वर्ष 2012 में बना था। वर्ष 2019 में भी रामनवमी के दिन रविपुष्य योग था, किंतु यह प्रात: 07 बजकर 40 मिनट तक ही था अर्थात् प्रभु श्रीराम के जन्म के समय रविपुष्य नक्षत्र नहीं था। इससे यह स्पष्ट होता है कि वर्ष 2012 के पश्चात् यह दुर्लभ संयोग 13 वर्षों के बाद बन रहा है।ALSO READ: चैत्र नवरात्रि की सप्तमी, अष्टमी और नवमी तिथि का क्या है महत्व?
 
-ज्योतिर्विद् पं. हेमन्त रिछारिया
प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केन्द्र
सम्पर्क: [email protected]

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