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अचानक धन लाभ कैसे मिलता है, जानिए कुंडली और हस्तरेखा के 5 आकस्मिक धनयोग

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, शुक्रवार, 11 फ़रवरी 2022 (16:13 IST)
Dhana yoga: यदि आपको अचानक से कहीं से ढेर सारा धन मिल जाए तो माना जाता है कि आपपकी कुंडली में आकस्मिक धनयोग होगा। कुंडली में वैसे तो आकस्मिक धनलाभ या धनयोग की कई स्थितियां होती हैं परंतु यहां प्रस्तुत है जन्मपत्री में स्थित 5 आकस्मिक ( Akasmik dhan yog in kundli) धनयोग। देखिये कहीं आपकी कुंडली में तो नहीं है इस तरह के योग।
 
 
जन्मकुंडली के अनुसार धन योग (money yoga according to horoscope in hindi):
 
1. पहला धनयोग : किसी जातक की जन्म कुण्डली में यदि चन्द्रमा ग्रह बृहस्पति के स्वामी भाव में युग्म में स्थित हो तो ऐसे जातक को अचानक से गढ़े हुए धन की प्राप्ति होती है।
 
2. दूसरा धनयोग : यदि अष्टम भाव का मालिक उच्च का हों तथा धनेश व लाभेश के प्रभाव में हों तो व्यक्ति को निश्चित रूप में अचानक धन लाभ होता हैं। पूर्व समय में इस योग को गढे धन प्राप्‍ति के लिये अहम माना जाता था। इस योग की खासियत होती हैं कि ये अचानक प्राप्त होता है।
 
3. तीसरा धनयोग : सप्तम स्थान में वृष राशि का चंद्र हो और लाभ स्थान में कन्या राशि का शनि हो, ऐसे व्यक्ति की आयु जब 37 से 43 वर्ष के मध्य होती है तो उसकी पत्नी को भारी आकस्मिक धन-लाभ होता है। 
 
4. चौथा धनयोग : चंद्रमा और बुध धन स्थान में हो तो बहुत लाभ होता है। दशम स्थान में कर्क राशि का चंद्र और धन स्थान में शनि हो तो अचानक धन-लाभ होता है। धन स्थान में 5 या इससे अधिक ग्रह हों तो बड़ा धन-लाभ होता है। 
 
5. पांचवां धनयोग: व्यक्ति को तभी आकस्मिक लाभ होगा जब कुंडली में पंचम भाव, द्वितीय भाव तथा एकादश भाव व उनके स्वामी ग्रह और इन भावों में स्थिर ग्रह बलवान हों। यदि जन्मकुंडली के पंचम भाव में गुरु स्थित है, पंचमेश मंगल धन भाव में स्थित है। पंचम भाव पर पंचमेश मंगल की चतुर्थदृष्टि है, द्वितीय भाव में मंगल स्थित है। द्वितीयेश सूर्य केंद्र भाव में उच्च का है। एकादश भाव पर गुरु की दृष्टि है, एकादश भाव का अधिपत्य शुक्र भाग्य भवन में उच्च का है तथा उस पर गुरु व मंगल की उच्च दृष्टि है। ऐसे व्यक्ति की कुंडली में भारी मात्रा में धलाभ होने का योग है।
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हस्तरेखा अनुसार धनयोग ( money yoga according to palm palmistry wealth) 
 
1. मस्तिष्क रेखा सही स्थिति में हो यानी कि टूटी या कटी हुई नहीं हो। साथ ही भाग्य रेखा की एक शाखा जीवन रेखा से निकलती हो। हथेलियां गुलाबी व मांसल हो तो करोड़ों में संपदा होने का योग बनता है।
 
2. जिनके दाहिने हाथ पर चंद्र के उभरे हुए भाग पर तारे का चिह्न है और जिनकी अंतःकरण रेखा शनि के ग्रह पर ठहरती है, ऐसे व्यक्तियों को आकस्मिक लाभ मिलता है। जन्म कुंडली में पंचम भाव को संचित भाव भी कहते हैं। एकादश भाव से लाभ का विचार किया जाता है तथा द्वितीय भाव से धन-संपत्ति का निर्णय किया जाता है। 
 
3. जिनके दाहिने हाथ की बुध से निकलने वाली रेखा चंद्र के पर्वत से जा मिलती है और जिनकी जीवन रेखा भी चंद्र पर्वत पर जाकर रुक जाती है, ऐसे व्यक्तियों को अचानक भारी लाभ होता है।
 
4. जिनकी भाग्य रेखा चंद्र पर्वत से निकलकर प्रभावी शनि में संपूर्ण विलीन हो जाती है, ऐसे भाग्यवान व्यक्तियों को अल्पकालीन धन-लाभ होता है। 
 
5. जिनके दाहिने हाथ पर दोहरी अंत.करण रेखा है और गौण रेखा बुध तथा शनि के ग्रहों से जुड़ी हुई है, ऐसे व्यक्तियों को भी अचानक भारी लाभ होगा।

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