हर वर्ष श्राद्ध पक्ष की समाप्ति के बाद नवरात्रि अश्विन माह में ही प्रारंभ होती है परंतु इस बार अश्विन मास में मलमास लगने के कारण 1 महीने के अंतर पर नवरात्रि आरंभ होगी। ऐसा संयोग करीब 165 साल बाद होने जा रहा है। आश्विन महीने में अधिमास 18 सितंबर से शुरू होकर 16 अक्टूबर तक चलेगा। यही कारण है कि इस बार 24 की जगह 26 एकादशियां होंगी।
अश्विन माह इस बार 3 सितंबर से 31 अक्टूबर तक होगा। यह अवधि 59 दिनों की होगी। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिस माह में सूर्य संक्रांति नहीं होती, उसमें अधिक मास जुड़ जाता है। पुरुषोत्तम 32 माह 16 दिन 4 घंटे बीतने के बाद आता है।
क्या है मलमास : हिन्दू पंचाग के अनुसार सौर-वर्ष में 365 दिन, 15 घटी, 31 पल व 30 विपल होते हैं जबकि चंद्र वर्ष में 354 दिन, 22 घटी, 1 पल व 23 विपल होते हैं। सूर्य व चंद्र दोनों वर्षों में 10 दिन, 53 घटी, 30 पल एवं 7 विपल का अंतर प्रत्येक वर्ष में रहता है। इसीलिए प्रत्येक 3 वर्ष में चंद्र-वर्ष में 1 माह जोड़ दिया जाता है। उस वर्ष में 12 के स्थान पर 13 महीने हो जाते हैं। इस बड़े हुए माह को ही अधिक मास कहते हैं। यह सौर वर्ष और चंद्र वर्ष के बीच अंतर का संतुलन बनाता है।
हिन्दू कैलेंडर और समय की धारणा को समझना थोड़ा कठिन है। इसमें सूर्य की गति के अनुसार सौरमास, चंद्र की गति के अनुसार चंद्रमास और नक्षत्र की गति के अनुसार नक्षत्र मास होता है। सभी के अनुसार ही तीज-त्योहार नियुक्त किए गए हैं। मूलत: चंद्रमास को देखकर ही तीज-त्योहार मनाए जाते हैं। अब यह समझते हैं कि यह अधिक मास, पुरुषोत्तम मास, खरमास और मलमास क्या होता है।