* जानिए 2015 में क्या कहते हैं वर्षा के योग
भारत में वर्षा ऋतु का विशेष महत्व है। अच्छी वर्षा की प्रतीक्षा समस्त धरती को रहती है। मौसम विभाग का कहना है कि इस साल कम बारिश होने की आशंका है। ज्योतिष शास्त्र के माध्यम से भी जाना जा सकता है कि कैसी वर्षा होगी।
वर्तमान समय वृश्चिक लग्न का है जिसका स्वामी जल तत्व है। वर्तमान में गुरु और शुक्र कर्क राशि में, जबकि मंगल और सूर्य मिथुन राशि में रहेंगे। गुरु-शुक्र महोत्पात का संयोग बनाएंगे। सूर्य 22 जून सोमवार को शाम 4.42 बजे वर्षा के प्रथम नक्षत्र आर्द्रा में प्रवेश करेंगे। इसी के साथ बारिश उत्तर और पूर्वी भारत के कुछ क्षेत्रों में शुरू हो जाएगी।
ग्रहों के अध्ययन के आधार पर इस बार आर्द्रा प्रवेश के मुहूर्त को देखते हुए उत्पाती वर्षा के योग बन रहे हैं। ग्रहों की स्थिति के कारण वर्षा अपना रास्ता भटकेगी जिससे मानसून में देरी होगी।
पहले नक्षत्र आर्द्रा का वाहन मूषक रहेगा। यह अग्नि नाड़ीयुक्त है, जो कि अल्प वृष्टि कराएगा। हालांकि 6 जुलाई से वर्षा का दूसरा नक्षत्र पुनर्वसु शुरू होगा, इसका वाहन गज रहेगा, जो अच्छी वर्षा कराएगा।
मध्यभारत में सही मायनों में जुलाई के प्रथम सप्ताह से ही वर्षा ऋतु का प्रवेश होगा। कुल मिलाकर खंड वर्षा होने के आसार हैं, लेकिन जुलाई से सितंबर के मध्य 20 दिन बहुत ही अच्छी वर्षा होगी।