भगवान गणेश मंगलकारी हैं, सुखकर्ता एवं दुखहर्ता हैं, जिनकी कृपा से विघ्नों का विनाश होता है और मनुष्य का कल्याण होता है। सिर्फ धार्मिक नहीं बल्कि श्रीगणेश के पूजन का ज्योतिषीय महत्व भी है।
गणपति जी विद्या और बुद्धि के देवता हैं अर्थात ग्रहों में बुध के देवता और केतु भी इन्हीं की कृपा पाकर शुभ फल देता है। अत: कुंडली में बुध एवं केतु के शुभ फलों की प्राप्ति के लिए विशेष रूप से गणेश आराधना करनी चाहिए।
खास तौर से विद्यार्थी वर्ग, शिक्षक, पत्रकार, वक्ता, संचालक, लेखक आदि के लिए भगवान गणेश ईष्ट माने गए हैं क्योंकि इन्हीं की कृपा से बुध के शुभ प्रभावों के चलते जातक ऐसे क्षेत्रों में जाकर तरक्की करता है।
अगर आपकी वाणी में कोई दोष है, तर्कशक्ति कमजोर है, ज्ञान की कमी है, विवेक से काम नहीं ले पाते, जो बोलते हैं वह अनुचित होता है या फिर प्रभावी नहीं होता, लेखन करना चाहते हैं लेकिन लेखन में प्रखरता नहीं आती तो आपको गणेश आराधना करनी चाहिए।
कुंडली में बुध की शुभता को बढ़ाकर आप विद्या, बुद्धि और वाणी को निखार सकते हैं। इसके साथ ही अपनी लेखन क्षमता को भी प्रभावी बना सकते हैं। यही कारण है कि कला के क्षेत्र में सबसे अधिक मां सरस्वती और भगवान गणेश का पूजन होता है।