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astrology and health : ज्योतिष की दृष्टि से क्या आप हैं green zone में...

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पं. हेमन्त रिछारिया

आज समूचा विश्व कोरोना नामक महामारी से पीड़ित है। संसार के सभी देश अपने-अपने तरीकों से इस वैश्विक महामारी से निपटने का प्रयास कर रहे हैं। इस समय अनेक देशों ने स्थानीय स्तर पर तालाबंदी अर्थात लॉकडाउन किया हुआ है। भारत में भी पिछले 1 माह से लॉकडाउन चला आ रहा है। कोरोना वायरस से निपटने के लिए अभी तक कोई कारगर इलाज नहीं खोजा जा सका है और न ही कोरोना के स्वभाव का कोई ठीक-ठीक अनुमान लगाया जा सका है।
 
इस वायरस ने सभी को प्रभावित किया है, चाहे वह 6 माह की बच्ची हो, 25 वर्ष का युवा हो, 40 वर्ष का प्रौढ़ हो या 60 से 80 तक की आयु के वृद्ध। कोरोना से हुई मौतों में भी हमें असामान्य नियम देखने को मिला है, जहां एक ओर तो 40 वर्षीय प्रौढ़ कोरोना की जंग हारकर काल के गाल में समा गए, वहीं 90 वर्षीय वृद्ध कोरोना को शिकस्त देकर पूर्ण स्वस्थ हो गए।
 
अब प्रश्न यह उठता है कि ऐसा क्यों हुआ? यदि हम इस बीमारी से संक्रमित होने वाले व्यक्ति एवं इससे ग्रसित होकर स्वस्थ होने वाले व्यक्तियों व इससे प्रभावित होकर प्राण गंवा देने वाले व्यक्तियों को रेड, ऑरेंज व ग्रीन इन 3 जोनों में विभक्त कर ज्योतिषीय आधार पर इसका विश्लेषण करने का प्रयास करें तो हम हमारी सर्तकता व सावधानी की दिशा में एक कदम ओर अग्रसर हो सकेंगे। ज्योतिष शास्त्र में किसी जातक के किसी रोग से पीड़ित होने व उस रोग से उसकी प्राणहानि होने के जोखिम के संकेत उसकी जन्म पत्रिका के अवलोकन के आधार पर मिलते हैं।
 
रोग का अधिपति ग्रह षष्ठेश-
 
ज्योतिष शास्त्र में कुंडली के 6ठे भाव को रोग का भाव माना गया है एवं इसके अधिपति ग्रह जिसे 'षष्ठेश' कहा जाता है, रोग का अधिपति ग्रह माना गया है। यदि किसी जातक पर षष्ठेश की महादशा या अंतरदशा चल रही हो तो वह निश्चित ही किसी-न-किसी रोग से पीड़ित होगा।
 
जन्म पत्रिका में षष्ठेश रोग का पक्का कारक होता है। अत: यदि कोई जातक जन्म पत्रिका के अनुसार षष्ठेश की महादशा या अंतरदशा भोग रहा है तो वह अवश्य ही रोग से पीड़ित हो जाएगा। यदि षष्ठेश जन्म पत्रिका के किसी शुभ या लाभ भाव में स्थित हो तो ऐसे में रोगग्रस्त होने की आशंका बढ़ जाती है। ऐसा जातक शीघ्र ही रोग से मुक्त नहीं होता।
 
मारकेश की दशा देती है मृत्युतुल्य कष्ट-
 
संसार में जिसने जन्म लिया है, उसकी मृत्यु होना अवश्यंभावी है। लेकिन यह मृत्यु कब होगी, इसका स्पष्ट संकेत भी ज्योतिष शास्त्र से मिल सकता है। जन्म पत्रिका के द्वितीयेष, सप्तमेष व द्वादशेष मारकेश ग्रह माने गए हैं। इनमें द्वितीयेष व सप्तमेष को प्रबल मारकेश माना गया है।
 
ज्योतिष में मारकेश मृत्यु देने वाला ग्रह होता है। यदि मारकेश शनि, मंगल व सूर्य जैसे क्रूर ग्रह हों या मारकेश ग्रह राहु-केतु से संयुक्त हों तो ये अधिक हानिकारक हो जाते हैं। मारकेश की महादशा या अंतरदशा में जातक मृत्युतुल्य कष्ट पाता है और यदि आयु पूर्ण हो चुकी हो तो ऐसे में जातक की इन दशाओं में मृत्यु होना भी संभव है।
 
क्रूर ग्रह की दशा होती है हानिकारक-
 
उपर्युक्त दशाओं के अतिरिक्त क्रूर ग्रहों जैसे अष्टमेश व राहु-केतु की दशाएं भी जातक के स्वास्थ्य व जीवन के लिए हानिकारक सिद्ध होती हैं। उपर्युक्त ग्रह स्थितियों व दशाओं के आधार पर यदि हम जातकों को 3 जोनों में विभक्त करें तो आइए जानते हैं कि ज्योतिष की दृष्टि से आप किस जोन में कहे जाएंगे-
 
1. ग्रीन जोन- सर्वप्रथम हम ज्योतिष के ग्रीन जोन वाले जातकों का विश्लेषण करते हैं। यदि आपकी जन्म पत्रिका के अनुसार वर्तमान में आप षष्ठेश, मारकेश व क्रूर ग्रह की महादशा, अंतरदशा या प्रत्यंतर दशा के प्रभाव में नहीं है और आप पर किसी शुभ ग्रह की महादशा, अंतरदशा या प्रत्यंतर दशा चल रही है तो आप सुरक्षित अर्थात ग्रीन जोन में माने जाएंगे।
 
2. ऑरेंज जोन- यदि आपकी जन्म पत्रिका के अनुसार वर्तमान में आप पर षष्ठेश या किसी क्रूर ग्रह की महादशा, अंतरदशा या प्रत्यंतर दशा चल रही है किंतु मारकेश की महादशा-अंतरदशा व प्रत्यंतर दशा से आप प्रभावित नहीं हैं अथवा आप केवल षष्ठेश या किसी क्रूर ग्रह की प्रत्यंतर दशा भोग रहे हैं। यदि आपका षष्ठेश 6, 8, 12 जैसे हानि स्थान में हों एवं आप पर किसी शुभ ग्रह की महादशा या अंतरदशा चल रही हो, तब आप ऑरेंज जोन में माने जाएंगे।
 
3. रेड जोन- यदि आपकी जन्म पत्रिका के अनुसार वर्तमान में आप षष्ठेश, मारकेश व क्रूर ग्रह की महादशा, अंतरदशा या प्रत्यंतर दशा के प्रभाव में हैं और आप पर किसी शुभ ग्रह की महादशा, अंतरदशा या प्रत्यंतर दशा नहीं चल रही है एवं आप मारकेश की महादशा या अंतरदशा के प्रभाव में हैं तो आप अत्यंत असुरक्षित अर्थात रेड जोन में माने जाएंगे।
 
यदि किसी जातक पर वर्तमान में महादशा (मारकेश/ षष्ठेश), अंतरदशा ((मारकेश/ षष्ठेश) व प्रत्यंतर दशा (मारकेश/ षष्ठेश/ क्रूर ग्रह) का संयोग बन रहा हो तो ऐसे जातक को अत्यंत सावधान व सतर्क रहने की आवश्यकता है। पूर्व वर्णित विंशोत्तरी दशाओं के साथ यदि जातक पर संकटा नामक योगिनी दशा चल रही हो, तब ऐसा जातक निश्चित रूप से रेड जोन में माना जाएगा। 
 
(निवेदन- उपर्युक्त विश्लेषण जिज्ञासु व ज्योतिष शास्त्र में रुचि रखने वाले पाठकों को केंद्र में रखकर प्रस्तुत किया गया है। पाठकों की व्यक्तिगत जन्म पत्रिका की ग्रह स्थिति एवं दशाओं के आधार पर उनका स्वास्थ्य संबंधी जोखिम कम या अधिक हो सकता है।

अत: पाठकों से अतिविनम्र निवेदन है कि वे किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी असावधानी व लापरवाही से बचें। उपर्युक्त आलेख को केवल सामान्य जानकारी तक ही सीमित रखें व इसके आधार पर स्वास्थ्य सुरक्षा संबंधी निर्णय न लें।)
 
-ज्योतिर्विद् पं. हेमन्त रिछारिया
प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केंद्र
संपर्क: [email protected]
 

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