* ज्योतिष का सबसे अधिक घातक, अशुभ और दुष्ट योग है 'यमघंटक', नहीं करें इसमें मंगल कार्य
ज्योतिष के सबसे अशुभ योगों में यमघंटक योग भी है। इस योग में शुभ कार्य वर्जित होते हैं अर्थात इस योग में व्यक्ति के किए गए शुभ कार्यों में असफलता की आशंका बढ़ जाती है। इस योग में शुभ एवं मांगलिक कामों को न करने की बात कही गई है।
ज्योतिष के अनुसार किसी भी कार्य को करने हेतु शुभ योग-संयोगों का होना आवश्यक होता है। शुभ समय का चयन तिथि, नक्षत्र, चंद्र स्थिति, योगिनी दशा और ग्रह स्थिति के आधार पर किया जाता है।
मंगल कार्यों को करने के लिए त्याज्य माने गए इन योगों का निर्धारण करने के कुछ नियम बताए हैं, जहां पर इनके होने की स्थिति को बताया गया है। अत: शुभ कामों को करने के लिए इन अशुभ योगों को त्यागना चाहिए।
यात्रा, बच्चों के लिए किए जाने वाले शुभ कार्य तथा संतान के जन्म समय में भी इस योग का विचार किया जाता है और यदि योग उपस्थित हो तो यथासंभव, कार्यों को टालना उचित है, संतान जन्म तो ईश्वरीय देन है परंतु यदि यमघटंक योग हो तो विद्वान ब्राह्मणों से इसकी शांति करवानी चाहिए।
वशिष्ठ ऋषि द्वारा फलित ज्योतिष शास्त्र में कहा गया है कि दिवसकाल में यदि यमघंटक नामक दुष्ट योग हो तो मृत्युतुल्य कष्ट हो सकता है, परंतु साथ ही रात्रिकाल में इसका फल इतना अशुभ नहीं माना जाता है।