ज्योतिष के अनुसार गाय, कुत्ते और पंछी आदि को भोजन पानी देने का महत्व बताया गया है। हिन्दू धर्म में भी पंचबलि कर्म का महत्व बताया गया है। पंचबलि अर्थात गोबलि, श्वान बलि, काकबलि, देवादिबलि और पिपलिकादि कर्म किया जाता है। गोबलि अर्थात गाय को, श्वान बलि अर्थात कुत्ते को, काकबलि अर्थात कौवे या पंछी को, देवबलि अर्थात अग्नि और अन्य देवताओं को और पिपलिकादि बलि अर्थात चींटी-कीड़े-मकौड़ों इत्यादि को भोजन पानी खिलाना होता है।
गाय (Cow) : पुराणों के अनुसार गाय में सभी देवताओं का वास माना गया है। अथर्ववेद के अनुसार- 'धेनु सदानाम रईनाम' अर्थात गाय समृद्धि का मूल स्रोत है। गाय में सकारात्मक ऊर्जा का भंडार होता है, जो भाग्य को जागृत करने की क्षमता रखती है। गाय को अन्न और जल देने से सभी तरह के संकट दूर होकर घर में सुख, शांति और समृद्धि के द्वारा खुल जाते हैं। प्रतिदिन गाय को रोटी खिलाने गुरु और शुक्र बलवान होता और धन-समृद्धि बढ़ती है।
कुत्ता (Dog) : कुत्ते को भोजन देने से भैरव महाराज प्रसन्न होते हैं और हर तरह के आकस्मिक संकटों से वे भक्त की रक्षा करते हैं। कुत्ता आपकी राहु, केतु के बुरे प्रभाव और यमदूत, भूत प्रेत आदि से रक्षा करता है। कुत्ते को प्रतिदिन भोजन देने से जहां दुश्मनों का भय मिट जाता है वहीं व्यक्ति निडर हो जाता है। ज्योतिषी के अनुसार केतु का प्रतीक है कुत्ता। कुत्ता पालने या कुत्ते की सेवा करने से केतु का अशुभ प्रभाव समाप्त हो जाता है। पितृ पक्ष में कुत्तों को मीठी रोटी खिलानी चाहिए।
पंछी (Bird) : पंछी में कौए को अतिथि-आगमन का सूचक और पितरों का आश्रम स्थल माना जाता है। कौओं को भोजन कराना अर्थात अपने पितरों को भोजन कराना माना गया है। कौए को अन्न जल देने से सभी तरह का पितृ और कालसर्प दोष दूर हो जाता है। पक्षियों में कौवे, हंस, गरुढ़, तोता और चिढ़ियों को अन्न खिलाने से सभी तरह के कर्ज से मुक्ति मिल जाती है। इससे पितृदोष, शनिदोष और मंगलदोष से भी मुक्ति मिलती है। इससे घर परिवार में सुख, शांति और प्रसन्नता बढ़ती है।