भद्रा के दुष्प्रभावों से बचने के लिए करें भद्रा के 12 नामों का जप
किसी भी मांगलिक कार्य में भद्रा योग का विशेष ध्यान रखा जाता है, क्योंकि भद्रा काल में मंगल-उत्सव की शुरुआत या समाप्ति अशुभ मानी जाती है अत: भद्रा काल की अशुभता को मानकर कोई भी आस्थावान व्यक्ति शुभ कार्य नहीं करता। यूं तो 'भद्रा' का शाब्दिक अर्थ है 'कल्याण करने वाली' लेकिन इस अर्थ के विपरीत भद्रा या विष्टि करण में शुभ कार्य निषेध बताए गए हैं।
अत: ज्योतिष शास्त्र में भद्रा के दुष्प्रभावों से बचने का आसान उपाय है वह है भद्रा के 12 नामों का जप करना। आइए जानते हैं :-
धन्या दधमुखी भद्रा महामारी खरानना।
कालारात्रिर्महारुद्रा विष्टिश्च कुल पुत्रिका।
भैरवी च महाकाली असुराणां क्षयन्करी।
द्वादश्चैव तु नामानि प्रातरुत्थाय यः पठेत्।
न च व्याधिर्भवैत तस्य रोगी रोगात्प्रमुच्यते।
गृह्यः सर्वेनुकूला: स्यर्नु च विघ्रादि जायते।
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जो व्यक्ति प्रात:काल भद्रा के 12 नामों का स्मरण करता है, उसे कभी भी आधी-व्याधि का भय नहीं रहता है और उसके किसी भी कार्य में कोई विघ्न नहीं आता, उसके सभी कार्य निर्विघ्न संपन्न होते है।
भद्रा के 12 नाम : -
1. धान्या
6. कालरात्रि
7. महारूद्रा
8. विष्टिकरण
9. कुलपुत्रिका