Bhadra Kaal : इस बार रक्षाबंधन पर भद्रा का साया है, ऐसे में राखी बांधें या नहीं? यह शंका सभी में है। यदि बांध ली तो क्या होगा? यदि नहीं बांधें तो फिर कब बांधे? इस तरह के सभी सवालों का जवाब जानें।
भद्रा में राखी बांधी तो क्या होगा?
पंचांग का एक अंग करण है। 11 करणों में 7वें करण विष्टि का नाम ही भद्रा है। अलग-अलग राशियों के अनुसार भद्रा तीनों लोकों में घूमती रहती है। भद्रा का निवास मृत्युलोक में है तो मांगलिक कार्य नहीं करते हैं, लेकिन स्वर्ग या पाताल लोक में है तो मांगलिक कार्य कर सकते हैं।
भद्रा को शनिदेव की बहन माना जाता है जो कि क्रूर स्वभाव की है, जो मांगलिक कार्य में विघ्न डालती है। मान्यता अनुसार भद्रा काल में राखी बांधने से अशुभ और अमंगल होता है। भद्रा कष्ट देती है।
जब भद्रा मुख में होती है तो कार्य में विघ्न पैदा होते और कार्य का नाश में हो सकता है। जब भद्रा कंठ में होती है तो धन का नाश होता है और जब भद्रा हृदय में होती है तो प्राण का नाश करती है। ऐसे में भद्रा काल में कोई भी मांगलिक कार्य नहीं करते हैं लेकिन जब भद्रा पुच्छ में होती है तो तो विजयी की प्राप्ति होती तथा कार्य सिद्ध होते हैं।
यदि आपके मन में शंक है और भ्रम की स्थिति है, लेकिन आप चाहते हैं कि 11 अगस्त को ही रक्षाबंध मनाया जाए तो प्रदोष और पुच्छ काल में, अमृत, शुभ, लाभ का चौघड़िया देखकर ही आप रक्षाबंधन मना सकते हैं।
भद्राकाल में राखी बांधें या नहीं?
रक्षाबंधन का त्योहार श्रावण पूर्णिमा को श्रवण नक्षत्र में मनाया जाता है। 11 अगस्त को यह तिथि और नक्षत्र है। इसी तिथि और नक्षत्र में ही राखी बांधी जाती है। पूर्णिमा तिथि 11/08/2022 को सुबह 10:38 से प्रारंभ और 12 अगस्त को सुबह 7 बजकर 5 मिनट पर समाप्त होगी।
यदि आपके मन में भद्रा को लेकर शंका है जो इसे मिटा दीजिये क्योंकि 11 अगस्त को भद्रा का वास पाताल लोक में रहेगा इसलिए भद्रा का असर धरती पर नहीं होगा। यह बात उसी तरह जिस तरह की भारत में नहीं दिखाई देने वाले सूर्य ग्रहण या चंद्र ग्रहण का सूतक काल मान्य नहीं होता उसी प्रकार जब भद्रा मकरस्थ होकर पाताल लोक में निवास कर रही है तो इसकी शंका न रखें।
अत: 11 अगस्त को दोपहर 03:31 तक आयुष्मान योग के बाद सौभाग्य योग रहेगा। दोनों योग में राखी बांध सकते हैं। जिन्हें भद्रा को लेकर शंका हैं वे रात्रि को 8:50 पर भद्रा समाप्ति के बाद राखी बांध सकते हैं।