भारतीय संस्कृति में भविष्यवाणी के ज्ञान का विशाल भंडार निहित है। तकनीकी रूप से इनका कोई लिखित इतिहास नहीं है लेकिन पीढ़ी-दर-पीढ़ी यह ज्ञान हस्तांतरित हो रहा है और मानना होगा कि इनके माध्यम से की गई भविष्यवाणियां अचूक सिद्ध होती हैं। प्रस्तुत है परंपरागत रूप से मिला कुछ अनोखा संकलन -
* प्रात:काल चारपाई से उठकर थोड़ा-सा बासी पानी पिएं और अपने दोनों हाथों को देखें तो वह व्यक्ति कभी बीमार नहीं होता।
* चैत्र में गुड़, वैशाख में तेल, जेष्ठ में रास्ता चलना, आषाढ़ में बिल्व (बेलफल), सावन में साग, भादौ में दही, अस्सू में दूध, कार्तिक में मट्ठा, अगहन में जीरा, पौष में धनिया, माघ में मिश्री, फागुन में चना चबाना, बड़ा ही हानिकारक है।
* यदि माघ में बादलों का रंग लाल हो तो अवश्य ही ओला पड़ता है।
* चींटी दाना इकट्ठा करती है और यदि तीतर चुग जाता है तो यह अपशकुन है।
* जिस पेड़ पर बगुला बैठे उस पेड़ का नाश हो जाता है।
* यदि गिरगिट नीचे की ओर मुंह करके उल्टा पेड़ पर चढ़े तो वर्षा से पृथ्वी डूब जाएगी।
* होली, लोहड़ी और दिवाली जिस वर्ष में क्रमश: शनि, रवि, मंगलवार में हो तो देश में बड़ी भारी बीमारी लगती है।
* 7 दांतों का बैल अपने स्वामी को खा जाता है और 9 दांतों का बैल स्वामी और उसके परिवार को खा जाता है। इसका तात्पर्य यह है कि वह परिवार के लिए हानिकारक होता है।
नोट : यह जानकारी परंपरागत रूप से प्राप्त ज्ञान पर आधारित है। पाठकों की सहमति-असहमति स्वविवेक पर निर्भर है।