ज्योतिषाचार्य पंडित विनोद चौबे
हम बचपन से अपने दैनिक जीवन में अनायास ही दिखने वाले कई संकेतों के बारे में सुनते आए हैं, जिनको हमारे बड़े-बुजुर्ग, अपशकुन अथवा निकट भविष्य में घटने वाली किसी अशुभ घटना का सूचक मानते हैं। जैसे किसी काम के आरंभ में छींक आना, छिपकली का शरीर के किसी अंग पर गिरना या फिर बिल्ली का रास्ता काटना इत्यादि। ऐसी बातों को लेकर किसी प्रकार की अनावश्यक शंका मन में रखने की कोई जरूरत नहीं होती क्योंकि कई बार ये घटनाएं साधारण रूप से भी हो जाती हैं परन्तु कभी-कभी इनका संबंध हमारे भविष्य से जुड़ा हुआ भी पाया जाता है। विशेषकर बिल्ली से संबंधित घटनाओं को लेकर तो बहुत से लोगों के मन में एक भय बैठा होता है। कारण कि बिल्लियां हमारी आम जिंदगी का हिस्सा हैं और सभी जगह देखी जाती हैं। शुभ-अशुभ संकेतों के ऊपर सनातन धर्म के शकुन शास्त्र में विस्तार से चर्चा की गयी है।
शकुन शास्त्र क्या है?
शकुन शास्त्र की बात करें तो इस ग्रन्थ में हमारे आसपास के जीव-जन्तुओं और वातावरण से जुड़े क्रियाकलापों के आधार पर हमारे भविष्य की जानकारियां दी गयी हैं। इनको ठीक से नहीं समझ पाने या विभिन्न संदर्भों को आपस में मिलाकर देखने से एक भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो जाती है, जिससे बचने की आवश्यकता है। अतः आज हम आपको इस लेख में बिल्ली से संबंधित घटनाओं की सत्यता के विषय में बताएंगे।
क्या कहता है शास्त्रीय मत?
बिल्लियों की शत्रुता सर्प योनि से मानी गयी है। पुराने समय में जो मार्ग होते थे, वह पूरी तरह वृक्ष और लताओं से घिरे होते थे। इसलिए बिल्ली की उपस्थिति वहाँ सर्प के होने का सूचक मानी जाती थी। बिल्लियों में छठी इंद्रिय बहुत विकसित मानी जाती है सो उनको आभास हो जाता था। घने जंगलों में तो आज भी ऐसे-ऐसे साँप मिलते हैं जो कि वाहन के अंदर बैठे मनुष्य पर भी आक्रमण कर दें। अनावश्यक रूप से बिल्ली को लेकर कोई वहम मन में नहीं रखना चाहिए।
बिल्ली को घर में पालने को लेकर भी अलग-अलग मत मिलते हैं। बिल्ली पालना या न पालना तो आपकी सुविधा पर है किन्तु स्वयं सोचिए कि प्रकृति में हर किसी के लिए स्थान निर्धारित है। मनुष्य और पशुओं का एक-दूसरे के निवास में अतिक्रमण करना संतुलन को बिगाड़ता है। अतः बिल्ली जैसे प्राकृतिक रूप से विचरण करने वाले जीवों का उन्मुक्त परिवेश में रहना ज्यादा सही होता है। इसके अलावा बिल्ली के रंग जैसे काली बिल्ली, सफेद बिल्ली आदि से भी कोई अंतर नहीं होता। कुछ ज्योतिषी इनके लाभ बताते हैं जो कि कपोल कल्पित बाते हैं।
बिल्लियों का किसी घर में आपस में झगड़ना, उस गृह में होने वाली कलह का सूचक माना जाता है लेकिन अगर बिल्लियां किसी घर में प्रजनन करें तो इसे बहुत अच्छा शगुन मानना चाहिए। बिल्ली के गर्भनाल को घर के नींव में डालने से उस घर में संतान की वृद्धि एवं धन-समृद्धि प्राप्त होती है। बिल्लियों को कृषकों का मित्र कहा गया है क्योंकि यह उन चूहों का नाश करती है जो अन्न के दुश्मन हैं। हाँ, बिल्लियों का किसी वैसे घर में रोना, जहाँ कोई लम्बे समय से रोगग्रस्त हो, उस रोगी की मृत्यु का इशारा हो सकता है।
क्या बिल्लियों से घर आती है दरिद्रता?
जीवन कर्म प्रधान है और अपने सुख-दुख के लिए मनुष्य के अपने कर्म ही उत्तरदायी होते हैं।दरिद्रा अथवा अलक्ष्मी का वास उन स्थानों पर माना गया है जहाँ जुआ, वेश्यावृत्ति जैसे दुष्कर्मों का बोलबाला होता है। बिल्लियों को राहु के अमंगलकारी प्रभाव से जोड़कर देखने के पीछे भी अभिप्राय यही है कि बिल्ली के आवागमन से कुछ अशुभ घटित नहीं होता बल्कि हमारे कर्मवश जो कुछ भी होना होता है, उसका संकेत इस जीव के माध्यम से हमको मिलता है।
ज्योतिषाचार्य पण्डित विनोद चौबे
संपादक- 'ज्योतिष का सूर्य', राष्ट्रीय मासिक पत्रिका,
भिलाई, जिला- दुर्ग(छ.ग.)
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सौजन्य - कुमार गौरव अजीतेन्दु