बुधवार का दिन बुध ग्रह के नाम होता है। यदि आपके घर में धन नहीं रुक रहा है, आए दिन घर में क्लेश मच रहा है, तो बुध ग्रह के पूजन से राहत मिल सकती है, क्योंकि यह व्रत बुध ग्रह का अशुभ प्रभाव दूर करने के साथ-साथ मन की शांति, विद्या, धनलाभ, व्यापारिक उन्नति व स्वास्थ्य लाभ कराता है।
बुध ग्रह के व्रत से जुड़े नियम
* बुध ग्रह का व्रत बुधवार को रखें।
* व्रत कब करें - यह व्रत किसी भी शुक्ल पक्ष के प्रथम बुधवार से शुरू करें।
* कितने करें - व्रत संख्या 21 या 41 बुधवार तक रखें।
* क्या न खाएं - नमक पूर्णत: वर्जित है।
* ध्यान रखें- शुद्धता का पूर्ण ध्यान रखें। पूजाघर में बुध यंत्र की स्थापना करके उसकी नियमित पूजा करें।
* प्रसाद क्या बनाएं- भोजन के रूप में मूंग की दाल की पंजीरी या हलवा भोग लगाकर प्रसाद वितरित करके शेष का सेवन सायंकाल करें।
* भोजन कब करें- भोजन का सेवन दान करने के बाद ही करें। दान बुध संबंधी वस्तुओं का करें।
* भोजन से पूर्व यह करें - भोजन से पूर्व हरी इलायची, कर्पूर मिश्रित जल से बुध देवता को अर्घ्य दें।
*मंत्र कौन सा जपें- व्रत के दिन बुध मंत्र 'ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाये नम:' का 9,000 बार या 5 माला जप करें।
* अंतिम बुधवार को क्या करें- मस्तक पर सफेद चंदन, हरी इलायची सहित घिसकर लगाएं और पहनने वाले वस्त्रों में हरे रंग का प्रयोग करें। जब व्रत का अंतिम बुधवार हो तो बुध मंत्र से हवन करके पूर्णाहुति देकर ब्राह्मणों को मीठा भोजन कराएं और यथाशक्ति दान करें।