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कैसे शुभ असर देगा चंद्र ग्रह, जानिए

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* जानिए चंद्र के शुभ-अशुभ होने पर क्या करें उपाय 
* लाल किताब के अनुसार चंद्र ग्रह का प्रभाव और उपाय 


 


 
पुराणों के अनुसार देव और दानवों द्वारा किए गए सागर मंथन से जो 14 रत्न निकले थे, उनमें से एक चंद्रमा भी थे। जिन्हें भगवान शंकर ने अपने सिर पर धारण कर लिया था। चंद्र देवता हिंदू धर्म के अनेक देवतओं में से एक हैं, उन्हें जल तत्व का देव कहा जाता है।

चंद्रमा की महादशा दस वर्ष की होती है। चंद्रमा के अधिदेवता अप्‌ और प्रत्यधिदेवता उमा देवी हैं। श्रीमद्भागवत के अनुसार चंद्रदेव महर्षि अत्रि और अनुसूया के पुत्र हैं। इनको सर्वमय कहा गया है। यह सोलह कलाओं से युक्त हैं। इन्हें अन्नमय, मनोमय, अमृतमय पुरुषस्वरूप भगवान कहा जाता है।

प्रजापितामह ब्रह्मा ने चंद्र देवता को बीज, औषधि, जल तथा ब्राह्मणों का राजा बनाया। चंद्रमा का विवाह राजा दक्ष की सत्ताईस कन्याओं से हुआ। यह कन्याएं सत्ताईस नक्षत्रों के रूप में भी जानी जाती हैं, जैसे अश्विनी, भरणी, कृत्तिका, रोहिणी आदि। चंद्रदेव की पत्नी रोहिणी से उनको एक पुत्र मिला जिनका नाम बुध है। चंद्र ग्रह ही सभी देवता, पितर, यक्ष, मनुष्य, भूत, पशु-पक्षी और वृक्ष आदि के प्राणों का आप्यायन करते हैं।

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शुभ : शुभ चंद्र व्यक्ति को धनवान और दयालु बनाता है। सुख और शांति देता है। भूमि और भवन के मालिक चंद्रमा से चतुर्थ में शुभ ग्रह होने पर घर संबंधी शुभ फल मिलते हैं।

अशुभ : दूध देने वाला जानवर मर जाए। यदि घोड़ा पाल रखा हो तो उसकी मृत्यु भी तय है, किंतु आमतौर पर अब लोगों के यहां यह जानवर नहीं होते। माता का बीमार होना या घर के जल के स्रोतों का सुख जाना भी चंद्र के अशुभ होने की निशानी है। महसूस करने की क्षमता क्षीण हो जाती है। राहु, केतु या शनि के साथ होने से तथा उनकी दृष्टि चंद्र पर पड़ने से चंद्र अशुभ हो जाता है। मानसिक रोगों का कारण भी चंद्र को माना गया है।

उपाय : प्रतिदिन माता के पैर छूना। शिव की भक्ति (ॐ नम: शिवाय का जाप करें)। सोमवार का व्रत। पानी या दूध को साफ पात्र में सिरहाने रखकर सोए और सुबह कीकर के वृक्ष की जड़ में डाल दें। चावल, सफेद वस्त्र, शंख, वंशपात्र, सफेद चंदन, श्वेत पुष्प, चीनी, बैल, दही और मोती दान करना चाहिए। ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्राय नमः

मकान : चंद्र है तो मकान से 24 कदम दूर या ठीक सामने कुंआ, हैंडपंप, तालाब या बहता हुआ पानी अवश्य होगा। दूध वाले वृक्ष होंगे। घर में शांति होगी।

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देवता : शिव
गोत्र : अत्रि
दिशा : वायव
दिवस : सोमवार
वस्त्र : धोती
पशु : घोड़ा
अंग : दिल, बांया भाग
पेशा : कुम्हार, झींवर
वस्तु : चांदी, मोती, दुध
स्वभाव : शीतल और शांत
वर्ण-जाति : श्वेत, ब्राह्मण
विशेषता : दयालु, हमदर्द
भ्रमण : एक राशि में सवा दो दिन।
नक्षत्र : रोहिणी, हस्त, श्रवण
गुण : माता, जायजाद जद्दी,शांति
वृक्ष : पोस्त का हरा पौधा, जिसमें दूध हो।
शक्ति : सुख शांति का मालिक, माता का प्यारा, पूर्वजों का सेवक।
वाहन : हिरण, श्वेत रंग के दस घोड़ों से चलने वाला हीरे जड़ीत तीन पहियों वाला रथ है।
राशि : नक्षत्रों और कर्क राशि के स्वामी चंद्रमा के मित्र सूर्य,बुध। राहु और केतु शत्रु है। मंगल, गुरु, शुक्र और शनि सम हैं। राहु के साथ होने से चंद्र ग्रहण।
अन्य नाम : सोम, रजनीपति, रजनीश, शशि, कला, निधि, इंदू, शशांक, शितांसु, मृगांक, सुधाकर और मयंक।



वैज्ञानिक दृष्टिकोण : असल में चंद्र कोई ग्रह नहीं बल्कि धरती का उपग्रह माना गया है। पृथ्वी के मुकाबले यह एक चौथाई अंश के बराबर है। पृथ्वी से इसकी दूरी 406860 किलोमीटर मानी गई है। चंद्र पृथ्वी की परिक्रमा 27 दिन में पूर्ण कर लेता है।

इतने ही समय में यह अपनी धुरी पर एक चक्कर लगा लेता है। 15 दिन तक इसकी कलाएं क्षिण होती है तो 15 दिन यह बढ़ता रहता है। चंद्रमा सूर्य से प्रकाश लेकर धरती को प्रकाशित करता है।

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