Adventurous and Daring zodiac signs: 12 राशियों में से 5 राशियां ऐसी हैं जो विपरीत परिस्थिति में भी अपना मार्ग निकालना जानती हैं। ये जिंदगी के संघर्षों से कभी हार नहीं मानती हैं लेकिन यदि यह किसी से कोई बहुत बड़ा धोका खा लेती हैं तो उन्हें मानसिक रूप से पुन: सही होने में अन्य की अपक्षे ज्यादा समय लग सकता है। ऐसा अपवाद ही है जबकि इन राशियों के लोगों ने हार मान ली हो।
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1. मेष : इस राशि का स्वामी मंगल है तथा यह राशि पूर्व दिशा की स्वामिनी है। यह राशि पुरुष-जाति, लाल-पीले वर्ग, वर्ण कांतिहीन, क्षत्रिय वर्ण, अग्नि तत्व वाली, चर संज्ञक समान अंगों वाली, अल्प सन्ततिवान तथा पित्त प्रकृति कारक है। इसका स्वभाव अहंकारी, साहसी तथा मित्रों के प्रति दयालुता का है। इसके द्वारा मस्तक का विचार किया जाता है। इस जाती के जातक के सामने कितना ही संघर्ष खड़ा किया जाए ये हार नहीं मानते हैं।
2. मिथुन : इसका राशि स्वामी बुध है। यह पश्चिम दिशा की स्वामिनी है। यह राशि पुरुष जाति, हरित वर्ण, चिकनी, शूद्र वर्ण, पश्चिम वायु तत्व वाली, ऊष्ण, महाशब्दकारी, मध्यम संतति वाली, शिथिल तथा विषमोदयी है। इसका स्वभाव शिल्पी तथा विद्याध्ययनी है। इसके द्वारा शरीर के कंधों तथा बाजुओं का विचार किया जाता है। यह भी बहुत संघर्षशील राशि है। अपने बुद्धिबल पर यह अपना रास्ता किसी भी तरह से बना ही लेती है।
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3. सिंह : इसका राशि स्वामी सूर्य है। यह पूर्व दिशा की स्वामिनी है। यह राशि पुरुष जाति, पीत वर्ण, क्षत्रिय वर्ण, पित्त प्रकृति, अग्नि तत्व वाली, ऊष्ण स्वभाव, पुष्ट शरीर, यात्राप्रिय, अल्प सन्तानविद् तथा निर्जल है। इसका स्वभाव मेष राशि के समान है, परंतु इसमें उदारता एवं स्वातन्त्र्यप्रियता अधिक पाई जाती है। इसके द्वारा हृदय का विचार किया जाता है। इस राशि के लोग कभी किसी के सामने झुकते नहीं है। अपना मार्ग खुद बनाने में माहिर है।
4. तुला : इसका राशि स्वामी शुक्र है। यह पश्चिम दिशा की स्वामिनी है। यह राशि पुरुष जाति, श्याम वर्ण, चर संज्ञक, शूद्र वर्ण, वायु तत्व वाली, दिनबलि, क्रूर स्वभाव, शीर्षोदयी, अल्प सन्ततिवान तथा पादजल राशि है। इसका स्वभाव ज्ञान-प्रिय, राजनीतिज्ञ, विचारशील एवं कार्य सम्पादक है। इसके द्वारा नाभि से नीचे के अंगों का विचार किया जाता है। इस राशि के लोग भावुक तो होते हैं लेकिन हार कतई नहीं मानते हैं। संघर्ष में रास्ता ढूंढ ही लेते हैं।
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5. धनु : इसका राशि स्वामी गुरु है। यह पूर्व दिशा की स्वामिनी है। यह राशि पुरुष जाति, स्वर्ण वर्ण, द्विस्वभाव, क्षत्रिय वर्ण, दिनबली, पित्त प्रकृति, अग्नि तत्व वाली, अल्प सन्ततिवान, दृढ़ शरीर तथा अर्द्धजल तत्व वाली राशि है। इसका स्वभाव करुणामय, मर्यादाशील तथा अधिकारप्रिय है। इसके द्वारा पाँवों की संधि तथा जंघाओं पर विचार किया जाता है। यह राशि अपने बुद्धिबल और ज्ञान के माध्यम से सफलता अर्जित करने में माहिर है।
6. कुंभ : इसका राशि स्वामी शनि है। यह पश्चिम दिशा की स्वामिनी है। यह राशि पुरुष जाति, विचित्र वर्ण, वायु तत्व वाली, शूद्र वर्ण, त्रिदोष प्रकृति वाली, ऊष्ण स्वभाव, अर्द्धजल, मध्यम संतान वाली, शीर्षोदय, क्रूर तथा दिनबली है। इसका स्वभाव शांत, विचारशील, धार्मिक तथा नवीन वस्तुओं का आविष्कारकर्ता है। इसके द्वारा पेट के भीतरी भागों का विचार किया जाता है। इस राशि के लोग भी बहुत साहसी और मेहनती होते हैं। इन्हें सफल होने से कोई रोक नहीं सकता है।
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