Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

नवग्रह : किस ग्रह की महादशा होती है शुभ और किस ग्रह की दशा में कष्ट मिलता है खूब

हमें फॉलो करें नवग्रह : किस ग्रह की महादशा होती है शुभ और किस ग्रह की दशा में कष्ट मिलता है खूब
, गुरुवार, 11 मई 2023 (12:28 IST)
Dasha mahadasha antardasha calculator Predictions : ज्योतिष के अनुसार 9 ग्रहों को मान्यता प्राप्त है। सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र और शनि के साथ ही दो छाया ग्रह राहु और केतु को भी शामिल किया गया है। उपरोक्त सभी ग्रहों की दशा, महादशा और अंतरदशा का प्रभाव जातक के जीवन पर होता है। आओ जानते हैं कि किस ग्रह की महादशा होती है शुभ और किस ग्रह की दशा में कष्ट मिलता है खूब।
 
ग्रहों की महादशा का समय निम्नानुसार है-
सूर्य- 6 वर्ष।
चन्द्र-10 वर्ष।
मंगल- 7 वर्ष।
राहू- 18 वर्ष।
गुरु- 16 वर्ष।
शनि- 19 वर्ष।
बुध- 17वर्ष।
केतु- 7 वर्ष।
शुक्र- 20 वर्ष।
webdunia
महादशा : महादशा शब्द का अर्थ है वह विशेष समय जिसमें कोई ग्रह अपनी प्रबलतम अवस्था में होता है और कुंडली में अपनी स्थिति के अनुसार शुभ-अशुभ फल देता है। 9 ग्रहों को 12 राशियों में बांटा गया है। सूर्य और चन्द्र के पास एक-एक राशि का स्वामित्व है, अन्य ग्रहों के पास 2-2 राशियों का स्वामित्व है। विंशोत्तरी गणना के अनुसार ज्योतिष में आदमी की कुल उम्र 120 वर्ष की मानी गई है और इन 120 वर्षों में आदमी के जीवन में सभी ग्रहों की महादशा पूर्ण हो जाती हैं।
 
अन्तर्दशा : इन वर्षों में मुख्य ग्रहों की महादशा में अंतर्गत अन्य ग्रहों का भी गोचर या भ्रमण होता जिसे अन्तर्दशा कहते हैं। जिस ग्रह की महादशा होगी, उसमें उसी ग्रह की अन्तर्दशा पहले आएगी, फिर ऊपर दिए गए क्रम से अन्य ग्रह भ्रमण करेंगे। इस समय में मुख्य ग्रह के साथ अन्तर्दशा स्वामी के भी प्रभाव फल का अनुभव होता है।
 
प्रत्यंतर दशा : ग्रहों की अन्तर्दशा का समय पंचांग से निकाला जा सकता है। अधिक सूक्ष्म गणना के लिए अन्तर्दशा में उन्हीं ग्रहों की प्रत्यंतर दशा भी निकली जाती है, जो इसी क्रम से चलती है। इससे अच्छी-बुरी घटनाओं के ठीक समय का आकलन किया जा सकता है।
webdunia
शुभ अशुभ फल :
  1. सामान्यतः 6, 8 और 12वें भाव में गए ग्रह की महादशा शुभ फल नहीं देती है।
  2. इसी तरह इन भावों के स्वामी की दशा भी कष्ट देती है।
  3. किसी ग्रह की महादशा में यदि उसके शत्रु ग्रह की, पाप ग्रह की, नीच ग्रह की अंतर्दशा चल रही है तो वह भी शुभ फल नहीं देती है।
  4. शुभ ग्रह में शुभ ग्रह की अंतर्दशा शुभ फल देती है।
  5. जो ग्रह 1, 4, 5, 7 और 9वें भाव में गोचर कर रहे हो तो उनकी दशा शुभ फल देते हैं। 
  6. स्वामी ग्रह, मूल त्रिकोण के ग्रह या उच्च के ग्रहों की दशा शुभ होती है।
  7. शनि, राहु, केतु आदि ग्रह अपने मित्र ग्रहों की बजाय दूसरे ग्रहों की दशा में अच्‍छा फल देते हैं।
  8. मुख्यत: सबसे ज्यादा कष्ट राहु और केतु की दशा में, फिर शनि की दशा में और इसके बाद बुध या मंगल की दशा में मिलता है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

कैसा होगा आपका कल का दिन? यहां जानिए 12 मई 2023 का भविष्यफल