Diwali 2021: दीपावली के दिन रात्रि को धन की देवी लक्ष्मी माता का पूजन विधिपूर्वक करना चाहिए एवं घर के प्रत्येक स्थान को स्वच्छ करके वहां दीपक लगाना चाहिए जिससे घर में लक्ष्मी का वास एवं दरिद्रता का नाश होता है। परंपरा से यह देख गया है कि दिवाली पर हर राज्य में दीया जलाने ( Diwali ke diye ) की अलग-अलग मान्यताएं हैं। कोई समय संख्या में तो कोई विषम संख्या में दीपक जलाता है।
1. धनतेरस पर भगवान यमराज के निमित्त घर के चारों ओर दीप जलाकर उनकी पूजा की जाती है। धनतेरस की शाम को मुख्य द्वार पर 13 और घर के अंदर भी 13 दीप जलाने होते हैं। कुल 26 दीपक जलाने होते हैं।
2. धनतेरस के बाद आती है नरक चतुर्दशी यानी छोटी दिवाली। इस दिन कई लोग 14 दीपक जलाते हैं। हालांकि मुख्यत: 5 दीपक तो जलाने ही होते हैं।
3. इसके बाद आती है दिवाली। इस दिन देवी लक्ष्मी, भगवान गणेश तथा द्रव्य, आभूषण आदि का पूजन करके 13 अथवा 26 दीपकों के मध्य 1 तेल का दीपक रखकर उसकी चारों बातियों को प्रज्वलित करना चाहिए एवं दीपमालिका का पूजन करके उन दीपों को घर में प्रत्येक स्थान पर रखें एवं 4, 7 या 9 बातियों वाला दीपक रातभर जलता रहे, ऐसा प्रयास करें। दिवाली के दिन माता लक्ष्मी के समय खासकर 7 बत्तियों वाला दीपक जलाया जाता है जिससे माता प्रसन्न होती हैं। कहते हैं कि 5, 7, 13, 14 या 17 की संख्या में दीए जलाना चाहिए।
4. धन तेरस से भाई दूज तक इन पांच स्थानों पर दीया जरूर जलाना चाहिए। पहला घर के पूजा पाठ वाले स्थान, दूसरा रसोई घर में, तीसरा पीने का पानी रखने के स्थान पर, चौथा पीपल या बरगद के पेड़ के नीचे और पांचवां घर के मुख्य द्वार पर जलाना चाहिए। घर के मुख्य द्वार पर जलाया जाने वाला दीया चौमुखी होना होना चाहिए और उसमें चार लंबी बत्तियों को जलाना चाहिए।