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अष्टमी-नवमी एवं दशहरा के जानिए विशेष संयोग...

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पं. सोमेश्वर जोशी

अष्टमी, नवमी और दशहरा कब मनाएं, जानिए ज्योतिषाचार्य से 


 
भक्तों की आस्था का पर्व नवरात्रि अब अपने अंतिम दौर में है। चन्द्रमास की गणना के कारण इस बार नवरात्रि 10 दिन की होने से लोगों के मन में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो रही है कि अष्टमी, नवमी और दशहरा कब मनाएं? 
 
इस संबंध में मालवा के ज्योतिषाचार्य के अनुसार अष्टमी तिथि 20 अक्टूबर को दोपहर 2.22 बजे से लगकर 21 अक्टूबर को दोपहर 1.29 बजे तक रहेगी तत्पश्चात नवमी 22 अक्टूबर को दोपहर 11.58 बजे तक रहेगी और फिर दशहरा प्रारंभ होगा। अतः स्पष्ट है कि महाष्टमी पूजन 21 अक्टूबर, बुधवार को तथा महानवमी पूजन 22 को होगा। यदि देवी गुरुवार को जाती हैं तो हाथी पर बैठकर जाएंगी जिससे सौभाग्य में वृद्धि होती है। उसके बाद दशमी तिथि प्रारंभ हो जाएगी इसलिए इसी दिन दशहरा भी मनाया जाएगा। 
 
दशहरे के बारे में धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दशहरा दशेन्द्रियों पर दश महाविद्याओं की आराधना करके विजय प्राप्ति के रूप में देखा जाता है। इस दिन पशुधन एवं शस्त्र-पूजन का भी विधान है, जो दोपहर 12 बजे बाद अभिजीत मुहूर्त, अपराह्न पूजा का समय 1.19 से 3.35, विजय मुहूर्त 2.04 से 2.50 बजे तक कर सकते है। शस्त्र-पूजन में अलग-अलग शस्त्रों का अलग-अलग मंत्रों द्वारा योग्य विद्वान द्वारा पूजन करवाना चाहिए।
 
 

विशेष योग संयोग- 
 
21 अक्टूबर को दोपहर 2.20 बजे से 23 अक्टूबर को दोपहर 12.02 बजे तक रवि योग रहेगा तथा बुध, राहु गोचर में अपनी उच्च राशि कन्या में होने से व्यापार, बाजार को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा। 
 
शास्त्रों के अनुसार 21 अक्टूबर को अष्टमी, बुधवार, उत्तराषाढ़ा और नवमी का संयोग बहुत ही श्रेष्ठ माना जाता है तथा नवमी तिथि में उत्तराषाढ़ा और गुरुवार का संयोग त्रैलोक्य दुर्लभ सहयोग हो तो नवमी बड़े महत्व की मानी जाती है, जो कि इस बार आ रही है। इसमें अनेक प्रकार के पदार्थों से पूजा की जाए तो श्रेष्ठ महाफलदायी होती है।
 
इन दिनों यह करें विशेष- 
 
* दोपहर 12 बजे के पहले नवमी पूजा प्रारंभ करें।
* दुर्गा/कुलदेवी का विशेष महापूजन करें। 
* हवन, पूजन, विसर्जन करें। 
* विशेष स्तोत्र कुंजिका, श्रीसूक्त, देवी कवच, अर्गला स्तोत्र का पाठ करें। 
* सप्तशती एवं विशेष कामना पूर्ति के लिए विशेष मंत्रों का जाप करें।
* दोपहर 12 बजे बाद शस्त्र पूजन करें। 
* सूर्यास्त पूर्व रावण दहन करें। 

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