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हर्कोलुबस वापस लौट रहा है, क्या कोई नहीं बचेगा?

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अनिरुद्ध जोशी

, गुरुवार, 26 दिसंबर 2019 (15:35 IST)
पश्‍चिमी देशों के कुछ लोगों द्वारा दुनिया के अंत की भविष्यवाणियों की श्रृंखला में दुनिया में एक और भविष्यवाणी प्रचलित की गई है जिससे बहुत से लोग शायद अनजान होंगे। यह भविष्यवाणी भी एक पश्‍चिमी महाशय ने की है। उनके अनुसार हर्कोलुबस या कहें कि रेड प्लेनेट या कहें कि लाल ग्रह निकट भविष्य में धरती के सबसे पास आ जाएगा जिसके प्रभाव के चलते मानव सभ्यता नष्ट हो जाएगी। कहीं जलप्रलय तो कहीं भूकंप और तूफान का मंजर होगा तो कहीं आग ही आग होगी। इस बीच ऐसी महामारी फैलेगी कि कोई भी बच नहीं पाएगा।
 
 
इन महाशय का नाम है वी.एम. राबोलू। कई भविष्यवाणियों के आधार या कहें कि सच्चे ज्ञान के आधार पर ये दावा करते हैं कि निकट भविष्य में हर्कोलुबस नामक एक ग्रह धरती के सबसे नजदीक आ जाएगा। यह ग्रह हमारे सौरमंडल में ही चक्कर काट रहा है और यह निकट भविष्य में जब हमारे ग्रह के सबसे पास आ जाएगा तो तबाही मच जाएगी। जैसे चंद्र जब पूर्णिमा के दिन सबसे पास आ जाता है, तो ज्वार-भाटा उत्पन्न होता है या अन्य कोई ग्रह जब हमारी धरती के निकट होता है, तो धरती पर उसका भयंकर प्रभाव पड़ता है। उसी तरह जब यह ग्रह धरती के सबसे पास होगा, तब इसके प्रभाव से जलप्रलय, भूकंप, सुनामी और तूफान बढ़ जाएंगे।
 
 
दावा किया जा रहा है कि इसी तरह से हर्कोलुबस ने अति नजदीक आकर पूर्व में अटलांटिक सभ्यता का अंत कर दिया था। यह तथ्‍य सभी धर्मों के ग्रंथों में आपको 'जलप्रलय' के रूप में मिल जाएगा।
 
जब हर्कोलुबस एक बार फिर धरती के अति नजदीक आ जाएगा तो जलप्रलय, भूकंप, सुनामी और तूफान बढ़ जाएंगे। आंतरिक आग से सभी ज्वालामुखी फट पड़ेंगे और धरती पर धुआं ही धुआं हो जाएगा। जब हर्कोलुबस धरती के सबसे करीब होगा तो धरती का एक घूर्णन पूरा हो जाएगा।
 
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दावा किया जा रहा है कि 'रेड प्लेनेट' अर्थात 'हर्कोलुबस' की वापसी के बारे में दुनिया के कई संतों ने भविष्यवाणी की है। अंतिम बार यह भविष्यवाणी वी.एम. राबोलू ने की है। वी.एम. राबोलू ने दुनिया को चेताने के लिए एक किताब लिखी है जिसका कई भाषाओं में अनुवाद किया गया है। उस किताब का नाम है- 'हर्कोबुलस, द प्लेनेट ऑफ द एंड ऑफ द वर्ल्ड'। एसोसिएशन अल्केनी दुनियाभर में यह किताब मुफ्त में दे रही है। कुछ लोगों का मानना है कि यह धर्म प्रचार का नया तरीका है।
 
 
इस किताब में वी.एम. राबोलू लिखते हैं कि जब हर्कोबुलस धरती के करीब आता है और उसका सूर्य के साथ संप्रेषण होता है तो धरती पर घातक महामारी फैलना प्रारंभ होती है। न तो डॉक्टर और न ही विज्ञान यह जान पाएगा कि यह कौन-सी बीमारी है और इसका क्या इलाज है? इस महामारी के सामने मानवता कमजोर हो जाएगी। त्रासदी और अंधकार का क्षण आएगा, कांप उठेगी धरती, इंसान मानसिक रूप से असंतुलित हो जाएगा और हर तरफ अफरा-तफरी होगी।
 
 
अपने संदेश में वी.एम. राबोलू आगामी प्रलय से मानवता को बचने के लिए ज्ञान, विज्ञान और मनोविज्ञान को इंगित करते हैं। इसके अलावा वे लोगों को आध्यात्मिकता की ओर मोड़ने का संदेश भी देते हैं। वे कहते हैं कि जो अध्यात्म की ओर मुड़ेगा वही सुरक्षित रह पाएगा अर्थात जो ईश्‍वर को मानेगा, वही बचेगा। यह समय खुद को बदलने और जानने का है।
 
उल्लेखनीय है कि ईसाई धर्मोपदेशक हैरॉल्ड कैपिंग 21 मई से 21 अक्टूबर 2011 के बीच दुनिया को खत्म करने की भविष्यवाणी कर चुके हैं। इससे पहले वे 4 सितंबर 1994 को दुनिया को खत्म कर चुके थे। पता नहीं वे बाइबल को पढ़कर कैसे दुनिया के अंत की भविष्यवाणी करते होंगे और कैसे वे लोगों को 'न्याय के दिन' के बारे में बताकर डराकर ईसाई बनाते होंगे?

यह मसला सिर्फ ईसाई धर्मोपदेशक का ही नहीं है। ऐसे कई मुस्लिम, यहूदी और हिन्दू धर्मोपदेशक भी हैं, जो अपने-अपने तरीके से दुनिया को खत्म करने में लगे हैं।
 
 
क्या कहता है विज्ञान : धरती पर कई बार कई कारणों से जीवन उजड़ा और फिर बस गया। कई बार धरती के नजदीक से कई ग्रह या विशालकाय उल्का पिंड गुजरे हैं लेकिन उनसे जीवन नष्ट नहीं हुआ है। नासा के अनुसार 20 लाख एस्ट्रेरॉयड घूम रहे हैं और लगभग हजारों ग्रह हैं, जो हमारे सौरमंडल में दाखिल होकर फिर सैकड़ों वर्षों के लिए गुम हो जाते हैं।
 
 
इसी तरह हाल ही की रिसर्च के अनुसार एपोफिस या एक्स नाम का ग्रह धरती के काफी पास से गुजरेगा, लेकिन उससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है। कई बार कई धूमकेतु हमारी धरती के नजदीक से गुजरे हैं लेकिन उसका भी धरती पर मामूली-सा असर ही होता है। यह सूर्य या चंद्रग्रहण के असर की तरह ही होता है।

किसी भी उल्कापिंड या किसी ग्रह के हमारी धरती के पास से गुजरने का थोड़ा-बहुत असर जरूर होता है, लेकिन यह कहना कि इससे धरती नष्ट ही हो जाएगी, सही नहीं है। भविष्‍यवक्ता लोगों को डराकर ईश्वर से जोड़ना चाहते हैं। हालांकि जब तबाही आएगी तो जो ईश्‍वर को मानता हो या नहीं, उन सभी को मरना होगा। प्रलय यह नहीं पूछेगा कि तू ईश्‍वर भक्त है या नहीं, जैसे सूर्य अपने प्रकाश को भेजते वक्त नहीं पूछता है।
 

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