श्री गणेशोत्सव के 10 दिनों में अपनी हर विशेष कामना पूरी की जा सकती है। अलग-अलग कामनाओं के अनुसार अलग-अलग द्रव्यों से बने हुए गणपति की स्थापना कर वांछित फल प्राप्त किया जा सकता है। प्रस्तुत है 11 प्रकार के श्री गणेश...
(1) श्री गणेश : मिट्टी के पार्थिव श्री गणेश बनाकर पूजन करने से सर्व कार्य सिद्धि होती है।
(2) हेरम्ब : गुड़ के गणेश जी बनाकर पूजन करने से लक्ष्मी प्राप्ति होती है।
(3) वाक्पति : भोजपत्र पर केसर से श्री गणेश प्रतिमा या चित्र बनाकर पूजन करने से विद्या प्राप्ति होती है।
(4) उच्छिष्ठ गणेश : लाख के श्री गणेश बनाकर पूजन करने से स्त्री सुख और स्त्री को पति सुख प्राप्त होता है। घर में क्लेश निवारण होता है।
(5) नमक की डली या नमक से श्री गणेश बनाकर पूजन करने से शत्रुओं में परस्पर क्षोभ उत्पन्न होता है। वह आपस में ही झगड़ने लगते हैं।
(6) गोबर गणेश : गाय के गोबर के श्री गणेश बनाकर पूजन करने से पशुधन में वृद्धि होती है। पशुओं की बीमारियां नष्ट होती है।
(7) श्वेतार्क श्री गणेश : सफेद आक मन्दार की जड़ के श्री गणेश जी बनाकर पूजन करने से भूमि लाभ व भवन लाभ होता है।
(8) शत्रुंजय : कड़वे नीम की लकड़ी से गणेश जी बनाकर पूजन करने से शत्रुनाश होता है और सर्वत्र विजय होती है।
(9) हरिद्रा गणेश : हल्दी की जड़ से या आटे में हल्दी मिलाकर श्री गणेश प्रतिमा बनाकर पूजन करने से विवाह में आने वाली हर बाधा नष्ट होती है।
(10) सन्तान गणेश : मक्खन के श्री गणेश जी बनाकर पूजन से सन्तान प्राप्ति के योग निर्मित होते हैं।
(11) धान्य गणेश : सप्तधान्य को पीसकर उनके श्रीगणेश जी बनाकर आराधना करने से धान्य वृद्धि होती है। मां अन्नपूर्णा प्रसन्न होती हैं।