Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

Govats Dwadashi: गाय के दर्शन से मिट जाते हैं कई जन्मों के पाप, जानिए इस दिन क्या कर सकते हैं आप

हमें फॉलो करें Govats Dwadashi: गाय के दर्शन से मिट जाते हैं कई जन्मों के पाप, जानिए इस दिन क्या कर सकते हैं आप
भारत के अधिकांश हिस्सों में भाद्रपद कृष्ण पक्ष की द्वादशी को गोवत्स द्वादशी मनाई जाती है। भारत के प्राचीन ग्रंथ वेदों में भी गाय की महत्ता और उसमें दिव्य शाक्तियां होने का वर्णन मिलता है। मान्यतानुसार जो मनुष्य प्रात: स्नान करके गौ स्पर्श करता है, वह पापों से मुक्त हो जाता है। शास्त्रों में कामधेनु गाय को सभी इच्छाओं को पूरा करने वाला बताया गया है। 
 
1. पौराणिक संदर्भ में गाय की महत्ता : धार्मिक ग्रंथों के अनुसार गाय के गोबर में लक्ष्मी, गोमूत्र में भवानी, चरणों के अग्रभाग में आकाशचारी देवता, रंभाने की आवाज में प्रजापति और थनों में समुद्र प्रतिष्ठित हैं। अत: जो मनुष्य प्रात:काल में स्नान के पश्चात गौ माता को स्पर्श करता है, वह सभी पापों से मुक्त हो जाता है। 
 
2. मिट्टी का तिलक : सनातन धर्म में गाय को देवताओं की प्रतिनिधि माना गया है। अत: प्रतिदिन अथवा गोवत्स द्वादशी के दिन गाय के पैरों में लगी मिट्टी का तिलक लगाने से तीर्थ स्नान का पुण्य प्राप्त है। 
 
3. चारा खिलाने मात्र से होगी पुण्य प्राप्ति : प्रतिदिन गौ माता को चारा या हरी घास खिलाने से जो पुण्य मिलता है, वह तीर्थों में स्नान, जप-तप, दान, ब्राह्मण भोज और हवन-यज्ञ आदि करने से भी नहीं प्राप्त होता। श्री कृष्ण भगवान गौ माता की सेवा अपने हाथों से किया करते थे और उन्होंने गाय का निवास गोलोक बताया गया है। अगर कोई व्यक्ति काली गाय को एक मुट्ठी घास खिलाता है तो उसके 30 दिन के किए पाप नष्ट हो जाते हैं, ऐसी मान्यता है।   
 
4. पाप होंगे नष्ट : जो मनुष्य गौ माता का श्रद्धापूर्वक पूजन और सेवा करते हैं, अपने भोजन से पहले गौ-ग्रास निकालते है, उस परिवार में कभी भी अन्न और धन की कमी नहीं रहती तथा देवता भी उस पर हमेशा प्रसन्न रहते हैं। जिस घर में गौ माता का भरण-पोषण होता है या जहां गायों का समूह बैठकर आराम से सांस लेता है, उस स्थान के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। 
 
5. दूर होगा दुर्भाग्य : विशेष कर भाद्रपद मास के गोवत्स द्वादशी के दिन गौ सेवा करने से दुख और दुर्भाग्य दूर होता है। घर में सुख-समृद्धि का वास होने लगता हैं।  जो मनुष्य तीर्थ स्नान जाकर स्नान या दान नहीं कर सकते वो मात्र गौ सेवा करके ही कई जन्मों के पापों से मुक्ति पा सकते हैं। 

6. गाय की परिक्रमा : जो मनुष्य प्रात: स्नानादि से निवृत्त होकर भक्तिपूर्वक काली गाय अथवा दूसरी गायों की परिक्रमा करता है, उसे पृथ्वी के समान फल प्राप्त होना माना जाता है। इतना ही नहीं गौ माता का पूजन करने से समस्त देवी-देवताओं का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है, क्योंकि गाय के शरीर में 33 कोटि देवी-देवताओं का वास होने की मान्यता है।  

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

3 सितंबर का राशिफल: शत्रु रहेंगे शांत, किसे मिलेंगे धनलाभ के अवसर